मोह को राम प्रीति है भाई
मोह को राम प्रीति है भाई
लडे नयन सम कछुदाई। ।
मोह को राम प्रीति है भाई। ।।
राम नाम ली बिन उदासी
मन में छा जाती मायूसी
हमको लागत न कछु नीको
बिन साजन दुःख दायी।।।
मोहको राम प्रीति है भाई।।
कुछ दिन बीत गये
मिले नयन न उनसे
दर्श पाऊ तो सुख पाऊ
बिन ईश वनो जीवन दुःख दायी।।
मोहको राम प्रीति है भाई।।।
उन बिन जीवन लागत ऐसा
मानो गाय बिन बछडा
संग संग घूमे प्राण हमारे
दूर भायो तो जग माही
मोहको राम प्रीति है भाई।।।
जग ऐसा जाजर नईया
पाव पडे डूब जाये
पार लगाओ प्रभू जन मोहको
इस जग में कछू नाही
मोहको राम प्रीति है भाई। ।।।
सूरज चाले चन्दा चाले चाले ये जग सारा
राम नाम के मोती लेले जपले नाम की माला
पता नही कल क्या होवे तो
आज ही सब सुख पाई
मोहको राम प्रीति है भाई। ।।।
कहत सुरजीत चलो यह जग में
गज फूक पाथ चलाई
न तो मार्ग मिले चीटी नाग सुड घुस जाई
तडप तडप फिर यह जग में जीवन देहू विताई
मोहको राम प्रीति है भाई।।।।।