मोहिनी
मोहिनी
मोहिनी स्वरूप ब्रह्म का विधान स्तुत्य है।
प्रेम स्रोत दिव्य भाव भंगिमा सुकृत्य है।
प्यार का अमोघ अस्त्र रूप वंदनीय है।
तोड़ता इसे वही कुकृत्य निंदनीय है।
विष्णु चेतना बने रचे महान मोहिनी।
मोहिनी अनामिका अनंत नाम सोहनी।
मूल्यवान तेजवान सत्य शुद्ध भव्यता।
ज्ञानवान शुभ्रमान गीत- गान नव्यता।
मोह मंत्र श्लोक तंत्र ध्यान यंत्र सर्वदा।
प्राण वायु शक्त स्नायु द्रव्यमान स्नेहदा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।