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24 Oct 2018 · 1 min read

मोहिनी

बीन मन शोभीत करे, गम को कर गमहीन।
माया, सत्ता, सुंदरी, दारू औ नमकीन।।
दारू औ नमकीन, ने रचे अनोखे रश्म।
चढ़ के वो मोहनी, सी करवा देती भस्म।।
ब्यापक विष घोल के, कर देत सभी को दीन।
खादी, खाँकी गेरुआ, साथ बजाते बीन।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २४/१०/२०१८)

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11 Likes · 3 Comments · 544 Views
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