मोहरे बना देते हैं
****** मोहरे बना देते हैं ********
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दिल में है क्या चेहरे बता देते हैं
पल भर में वो मोहरे बना देते हैं
मासूमियत सी है सदा रहती दिखती
नाजायज़ तोहमतें लगा देते हैं
किन पे यकीन हैं करें किन पे दें छोड़
विश्वासघात का तगमा लगा देते हैं
बातों ही बातों में लगाते रहते मन
पास से गुजरते नजरें घुमा देते हैं
तमाशबीन सी लगे ये जालिम दुनिया
पल में जिंदगी तमाशा बना देते हैं
कैफ़ियत पूछ लिया जाने अंजाने
गम का पहाड़ सा वो गिरा देते हैं
बना कर ऐसा हाल सजा देते रहें
हालात पर हम खुद को झुका देते हैं
सुखविन्द्र तन्हाई में तन्हा सा जी रहा
रंज को भूला कर मुस्कुरा देते हैं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)