Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2023 · 4 min read

मोहम्मद गोरी का अंत

मौहम्मद गौरी का वध किसने किया था?काफी सारा विवाद कुछ दिनों से फेसबुक पर चल रहा इस विषय पर।मुझे पता है इस पोस्ट से भी एक नया विवाद पैदा होना तय है हालांकि उसका विषय अलग होगा,खोखर जाट अथवा राजपूत। लेकिन इस पर बहस किसी अगली पोस्ट में। फिलहाल गोरी की मौत पढिय़े कैसे हुई।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अथवा खोखर (राजपूतो अथवा जाटों)ने??

आधुनिक इतिहासकारो ने मुस्लिम इतिहासकारो के हवाले से लिखा है कि मौहम्मद गौरी को खोखर जनजाति ने पंजाब के झेलम क्षेत्र में मारा था।।।इतिहासकारो के अनुसार गौरी ने पृथ्वीराज को तराईन के दूसरे युद्ध में हराकर बन्दी बना लिया था और अजमेर में उनकी हत्या करवा दी थी।।

वहीँ पृथ्वीराज रासो और भारतीय मान्यताओ के अनुसार सुल्तान मौहम्मद गौरी पृथ्वीराज को बन्दी बनाकर गजनी ले गया था,जहाँ उसने पृथ्वीराज चौहान को अँधा करवा दिया था,वही अवसर देखकर पृथ्वीराज चौहान ने गजनी में गौरी को शब्दभेदी बाण से मारा था!!!!जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान भी वहीँ गजनी में वीरगति को प्राप्त हुए थे।।

जहाँ आधुनिक इतिहासकार मौहम्मद गौरी की कब्र पाकिस्तान के झेलम में होना मानते हैं
वहीँ गजनी में गौरी की कब्र होने की प्रबल मान्यता खुद अफगानिस्तान वासियों में है,
गजनी में मौहम्मद गौरी की कब्र आज भी मौजूद है जिसके बाहर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कच्ची समाधि है,जिसको गजनीवासी जूते से मारकर अपमानित किया करते थे।।

ब्रिटिश सेना में भारतीय मूल के राजपूत सैनिक जब अफगानिस्तान गए थे तो उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की समाधि ढूँढने का प्रयत्न किया था।।
जब कंधार विमान हाइजैक मामले में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह अफगानिस्तान गए थे तो उस समय उन्हें गजनी में पृथ्वीराज चौहान की समाधि होने की जानकारी खुद तालिबान सरकार के अधिकारियो ने दी थी,

यह जानकारी फूलन देवी हत्याकांड में जेल में बन्द शेरसिंह राणा को मिली तो उन्होंने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि के अवशेष भारत वापस लाने का प्रण लिया और जेल से फरार होकर वो तमाम खतरों को को पार करते हुए अफगानिस्तान जा पहुंचे।।
वहां से मौका पाकर पृथ्वीराज की समाधि के अवशेष वो भारत वापस ले आए।
भारत आकर उन्होंने पृथ्वीराज की समाधि के अवशेष मैनपुरी की एक राजपूत संस्था को पृथ्वीराज स्मारक बनाने के लिए सौंप दिए।।
इस प्रकार गजनी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान का सांकेतिक अपमान बन्द हुआ।।

यह भी जानकारी मिली है कि राजस्थान के नीमराणा इलाके के प्रसिद्ध गांव कांटी के ठाकुर दुर्जनसिंह चौहान जी भी ब्रिटिश काल में ही अफगानिस्तान जाकर पृथ्वीराज चौहान की समाधि के अवशेष भारत वापस ले आए थे, लेकिन उस महान उपलब्धि का प्रचार नही हुआ,जिससे गजनी में सम्राट पृथ्वीराज का सांकेतिक अपमान जारी रहा।।।।

चलिए अब लौटते हैं मूल मुद्दे पर कि गौरी को दरअसल किसने,कब और कहाँ मारा ????
सम्राट पृथ्वीराज चौहान कहाँ वीरगति को प्राप्त हुए??
अजमेर में या गजनी में???

इतिहासकारो के अनुसार——

अफगानिस्तान में घुरि राजवंश के दो सगे भाईयो गयासुद्दीन गौरी और शाहबुद्दीन गौरी ने सन् 1173 से 1202 तक संयुक्त रूप से शासन किया।
बड़े भाई गयासुद्दीन की मृत्यु सन् 1202 में होने के बाद शाहबुद्दीन गौरी ने 1202-1206 तक अकेले शासन किया था।सन् 1206 में पंजाब के झेलम के पास खोखर राजपूतो ने शाहबुद्दीन गौरी की हत्या कर दी थी।

यही शाहबुद्दीन गौरी तराईन के दोनों युद्धों में पृथ्वीराज चौहान की सेना से भिड़ा था।।अब सवाल ये है कि अगर बड़ा गौरी सन् 1202 में मरा और छोटा शाहबुद्दीन सन् 1206 में—-

तो 1192-1193 में पृथ्वीराज चौहान ने किस गौरी को शब्दभेदी बाण से मारा था??????

=====अंतिम निष्कर्ष====

अगर पृथ्वीराज चौहान की हत्या अजमेर में हुई होती तो अफगानिस्तान (गजनी) में गौरी की कब्र और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि पास पास नही होती।गजनी में सुल्तान गौरी की हत्या किसी काफिर हिन्दू राजा द्वारा किये जाने की मान्यता अफगानिस्तान में बहुत प्रबल है तभी तालिबानी अधिकारीयों द्वारा भारतीय विदेश मंत्री श्री जसवंत सिंह को जानकारी दी गयी कि गजनी में सुल्तान गौरी की कब्र और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि पास पास है।।

इससे सम्राट पृथ्वीराज चौहान का अजमेर में मारा जाना पूर्णतया असत्य जान पड़ता है।

किन्तु यहाँ प्रश्न उतपन्न होता है कि पृथ्वीराज द्वारा सुल्तान गौरी का वध कब और कैसे हुआ????

तो परिस्थितिजनक साक्ष्यो से मालूम होता है कि पृथ्वीराज चौहान को नेत्रहीन करके गजनी में सन् 1192-1202 तक कैद करके रखा गया था,,सन् 1202 में सुल्तान गयासुद्दीन गौरी ने एक समारोह में पृथ्वीराज चौहान को कैद से निकालकर उनसे तीरंदाजी का हुनर दिखाने को कहा गया।।

वहीँ कुशल धनुर्धर महान राजपूत यौद्धा पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण से सुल्तान गयासुद्दीन गौरी का वध कर दिया और खुद भी वीरगति को प्राप्त हो गए!!!!!!

तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकारो द्वारा जानबूझकर इस घटना को छुपाने का प्रयास किया और पृथ्वीराज की हत्या अजमेर में किये जाने की फर्जी कहानी गढ़ी गयी,जबकि गजनी में सुल्तान गौरी और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि होना उनके दावे का खण्डन करने के लिए पर्याप्त है।।।

इसके बाद गयासुद्दीन तुगलक का छोटा भाई शाहबुद्दीन मौहम्मद गौरी सन् 1202-1206 तक सुल्तान रहा,किन्तु सन् 1206 ईस्वी में उसे पंजाब के झेलम के पास खोखरो (राठौर राजपूतो की शाखा अथवा खोखर जाटों) ने मार गिराया।
शाहबुद्दीन मौहम्मद गौरी की कब्र/मजार आज भी पंजाब(पाकिस्तान) के झेलम में स्थित है।।।

उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि दरअसल दो सुल्तान गौरी थे जो मिलकर अफगानिस्तान और भारत में अपने साम्राज्य का शासन चलाते थे।।

बड़े भाई गयासुद्दीन गौरी का वध पृथ्वीराज चौहान द्वारा सन् 1202 ईस्वी में गजनी में किया गया,
वहीँ छोटे भाई शाहबुद्दीन मौहम्मद गौरी का वध झेलम के पास खोखरो (राठौर राजपूतो अथवा जाटों)द्वारा किया गया था।

बाद में जनमानस में मान्यताओं का घालमेल हो गया और भ्रामक मान्यताएं बन गयी जिनसे आधुनिक इतिहासकार भी भ्रमित हो गए और वो वास्तविक तथ्य नही लिख पाए।।

पृथ्वीराज चौहान सर्वकालिक महानतम राजपूत शासको में एक थे,
अगर काशी/कन्नौज के सम्राट जयचन्द्र गहरवार और अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान मिलकर सुल्तान गौरी का मुकाबला करते तो तराईन के दूसरे युद्ध में भी न सिर्फ तुर्को की करारी हार होती, वरन् उन्हें समूल नष्ट किया जा सकता था,अगर ऐसा हो जाता तो भारतवर्ष का इतिहास कुछ और ही होता!!!!!

132 Views

You may also like these posts

*जिंदगी के  हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बातों को अंदर रखने से
बातों को अंदर रखने से
Mamta Rani
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
World News
।। कसौटि ।।
।। कसौटि ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
ସକାଳ ଚା'
ସକାଳ ଚା'
Otteri Selvakumar
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
Shikha Mishra
सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया
सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया
Kanchan Gupta
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
sushil sarna
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चाचा नेहरू
चाचा नेहरू
नूरफातिमा खातून नूरी
Sometimes you have alot going inside you but you cannot expr
Sometimes you have alot going inside you but you cannot expr
पूर्वार्थ
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
जीवन का सार।
जीवन का सार।
Rj Anand Prajapati
122 122 122 12
122 122 122 12
SZUBAIR KHAN KHAN
आरज़ू है
आरज़ू है
Dr fauzia Naseem shad
सबका साथ
सबका साथ
Bodhisatva kastooriya
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
Phool gufran
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
मैं मजदूर हूँ
मैं मजदूर हूँ
Kanchan verma
2579.पूर्णिका
2579.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
समय
समय
Deepesh Dwivedi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Santosh Soni
अपने ही चमन के फूल थे वो
अपने ही चमन के फूल थे वो
Mahesh Tiwari 'Ayan'
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
Neeraj Agarwal
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
Ashwini sharma
"आशा-तृष्णा"
Dr. Kishan tandon kranti
*रावण का दुख 【कुंडलिया】*
*रावण का दुख 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
Loading...