मोहब्बत
निगाहों से निगाहें मिलाने को जी चाहता है,
तेरी मोहब्बत में डूब जाने को जी चाहता है।
रहें कुछ पल तेरे दिल को आशियां बनाकर,
इश्क़ में हद से गुजर जाने को जी चाहता है।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597