मोहब्बत
जो सीने में मोहब्बत के घर नहीं रखते।।
वो जिंदगी जीने के हुनर नहीं रखते।
जो दिलों को तोड देते हैं आईनों की तरह ।
ऐसे शक्स पर हम अपनी नज़र नहीं रखते ।
जो टूट जाए पल भर में बात को सुनकर।
हम अपने सीने में ऐसा जिगर नहीं रखते।
कर गया ज़ख्म मोहब्बत के हज़ार सीने में।
ऐसे दोस्तो को हम अपने घर नहीं रखते।
जो साथ चलकर जताता है एहसान दो पल के लिए।
हम एहसान उनका , फूल, ताउम्र नहीं रखते ।।