“” “” “” मोहब्बत “” “” “”
ना जाने क्यों? मैं तेरी इस दिलकस अदा पर मरती हूँ ।।
कह और कर कुछ नहीं सकती, फिर भी तुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ।।।
उस मोहब्बत की खता को संजोती हूँ।।
बिखरे हुए मेरे इन लम्हों को समेटती हूँ।।
कोई नहीं अपना लगता,
बस एक तुझे अपना बनाने की चाहत रखती हूँ।।
मैं तुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ।।
कहना ना कभी मुझे बेवफा,
मै वफा को निभाने की हिमाकत रखती हूँ।।
मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ।।
मैं तुझसे मोहब्बत करने की वजह रखती हूँ।।
तू दे या ना दे तेरे दिल में रहने की जगह रखती हूँ।।
मैं तुमसे बहुत प्रेम करती हूँ।।
मैं तुझसे प्यार करने की रजा़ रखती हूँ।।
मैं तुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ।।
बस तुझसे…………. ।।।।