मोहब्बत
ज़ख्म गहरा है सब्र से काम लेना है ।
ज़माने को अपनी चाहत में ढाल देना है ।
इम्तिहा होगा हमारे इश्क़ का आखिर कब तक ।
जुवा को बंद रखो आंखों से काम लेना है।
कोई मिल जाएं गर रहगुज़र यहां मुझको।
उसके आगोश में खुद को संभाल लेना है।
तेरे तो हुस्न के चर्चे हैं शहर में सारे ।
तेरी गली में मुझे अपना मकान लेना है।
मैं अपने प्यार को कुर्बान कर नहीं सकती ।
,फूल, मुझे बस नाम सुबहो शाम तेरा लेना है ।
Phool gufran