मोहब्बत
***मोहब्बत ***
नफरत की इस दुनिया मे
मोहब्बत बैसे ही पनप जाती है
जैसे कुदरत हमेशा ही
फूलो को कांटो मे खिलाती है
कोशिशे लाख होती है
मोहब्बत को मिटाने की
मगर मोहब्बत हार कर भी जीत जाती है
***दिनेश कुमार गंगवार ***
***मोहब्बत ***
नफरत की इस दुनिया मे
मोहब्बत बैसे ही पनप जाती है
जैसे कुदरत हमेशा ही
फूलो को कांटो मे खिलाती है
कोशिशे लाख होती है
मोहब्बत को मिटाने की
मगर मोहब्बत हार कर भी जीत जाती है
***दिनेश कुमार गंगवार ***