तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
मदद का हाथ अगर तुम बढ़ा सको तो चलो
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
सियासत जाती और धर्म की अच्छी नहीं लेकिन,
भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर के ज़ालिम थपेड़ों को,
यूं किसने दस्तक दी है दिल की सियासत पर,