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15 Jun 2023 · 1 min read

मोहब्बत

मोहब्बत –
किसी सरोवर के जल में –
छुपी मचलती तरंग ;
तोड़कर अपने तट की सीमाएँ ,
रूप ले लेती है
भयंकर झंझावात का –
जब समाज की कुरीतियाँ –
रूढियों की कटार से –
छलनी कर देती हैं
सुबकते हृदय को ;
जातिवाद के घिनौने
जाल में जकड़ कर….।

(मोहिनी तिवारी)

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