मोहब्बत
वस्ल की रातें दिन में बिछड़ जाना है,
छोड़ के तुमको मुझको कहाँ जाना है,
हम परिंदे मोहब्बत की ज़ुस्तज़ु रखते,
तुम्हारे सिवा मेरा कोई ना ठिकाना है,
मिले दिल तो दिल को सम्हाले रख्खे,
दिल अगर टूटे तो कहां आशियाना है,
ये मोहब्बत की कहानी आसान न थी,
इसको बनाने में लगा बहुत जमाना है,
अब आके देख लें खुद ही देखने वाले,
मैं क्यों बताऊं कि वह मेरा दीवाना है,
थक कर मैं उससे गया कभी दूर नहीं,
पाकर उसको मुझे और क्या पाना है,
खड़े हैं तुम्हारे ही इंतज़ार में अखिल,
ठहरो कि आंखों का पेट भर जाना है,
वस्ल की रातें दिन में बिछड़ जाना है,