मोहब्बत
शिकायत है नहीं कोई, ना शिकवा है कोई ठहरा
करें नफरत ये हमसे क्यों, लगे सदमा जो है गहरा
बेरुखी दूर से करती इशारे पास आने को
मिटा दे प्यार को कैसे, मोहब्बत का लगे पहरा
शिकायत है नहीं कोई, ना शिकवा है कोई ठहरा
करें नफरत ये हमसे क्यों, लगे सदमा जो है गहरा
बेरुखी दूर से करती इशारे पास आने को
मिटा दे प्यार को कैसे, मोहब्बत का लगे पहरा