मोहब्बत
मीटर-122-122-122-122
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तुम्हीं हो हमारी सुबह के नज़ारे।
तुम्हीं से खिलेंगे निशा के सितारे।।
अकेला तुम्हारे बिना रह न पाऊँ,
सफ़र ज़िंदगी का निभा भी न पाऊँ,
सदा प्यार के हों हसीं ये इशारे।
तुम्हीं से खिलेंगे निशा के सितारे।।
जहाँ तुम रहोगे वहीं मैं रहूँगी,
क़दम से क़दम मैं मिला कर चलूँगी,
सदा प्यार हो दरमियाँ इक हमारे।
तुम्हीं से खिलेंगे निशा के सितारे।।
किसी मोड़ पर मैं अगर रूठ जाऊँ,
भुले से तुझे छोड़ के पर न जाऊँ,
सिखाना हमें तू नदी औ किनारे।
तुम्हीं से खिलेंगे निशा के सितारे।।
–आर.एस.प्रीतम