मोहब्बत
नजरें मिलीं मिलते ही प्यार हो गया
संग जीने मरने का इकरार हो गया
यह जीवन जो कोरे कागज समान था
प्रेम रंग से यह जीवन रंगलीन हो गया
अखियाँ तरसती थी जो पहले प्यार को
प्यार पाने का स्वपन जो साकार हो गया
ईश्क होती है नाइलाज बीमारी अगर
उस बीमारी का हमें भी खुमार हो गया
ईश्के खुमारी में डूबें हैं अब इस कदर
अब जीने का ईश्काना अंदाज हो गया
शायरों की प्रेम किताबें पढी थी कभी
अपना भी यारों शायराना हाल हो गया
तरसते थे कभी हम इस हसीन पल को
हसीन पलों से दिल बागम बाग हो गया
जीवन जी पाने की कोई न राह चाह थी
मंजिल ए मोहब्बत पाकर आबाद हो गया
अब से पहले यह जीवन जो भावहीन था
प्रेम उमंगों से जीवन सुख भावाभार हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत