मोहब्बत
मोहब्बत वो नही जो कि भ्रमर करता है कलियों से
मोहब्बत में जिसे हर दिल ने है पागल बना डाला
***************************
मोहब्बत तो पपीहे की तड़प की कश्मकश में है
जिसे स्वाती की बूंदों ने मरुस्थल सा बना डाला
***************************
मोहब्बत वो समन्दर है समा जाये जो आँखों में
बनाकर अश्क के मोती नयन दिल में सजा डाला
*****************************
मोहब्बत तो दिलो के साज का पावन सा नगमा है
समर्पण से भरे इस साज को सुर में सजा डाला
*******************************
मोहब्बत में कहाँ होती दिले दुशवारियाँ अपनी
बनाकर अश्क नयनों का जिसे दिल से मिटा डाला
*****************************
मोहब्बत तो परम पावन कहानी है समर्पण की
समर्पण में जहाँ गैरों को भी अपना बना डाला !!