मोहब्बत मेरी जब यह जमाना जानेगा
मोहब्बत मेरी जब यह, जमाना जानेगा।
नफरत हसीना से, दीवाना करेगा।।
यह गीत मेरे जब, आशिक सुनेगा।
खिलाफत इन हुर्रों की, वह करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————।।
तुम्हारे दुःख लेकर सारे।
हर खुशी तुमको मैंने दी यारा।।
बदले में मुझसे बेवफाई।
बर्बादी मेरी तूने की है यारा।।
समर्पण तुम्हारे लिए मेरा यह संसार।
किताबों में जब यह, कल को पढ़ेगा।।
करेगा खुशामद नहीं मेहजबीन की।
दूर अपने दिल से हुर्र को करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————।।
देखेगा जब यह मेरे लहू को।
तस्वीर जिससे मैंने तेरी बनाई।।
देखेगा जब यह मेरी चाहत को।
जगह दिल में जो तेरी बनाई।।
दुहायें तेरे लिए जो की है मैंने।
उन्हें आदमी जब कल को सुनेगा।।
मांगेगा नहीं वह इफाजत गुल की।
वह बेवफाई हुर्र से करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब—————–।।
आयेगी याद तुमको मेरी बहुत कल।
गिरायेगी आँसू रातों को कल तू।।
पुकारेगी मुझको आवाज़ देकर।
तलाशेगी मुझको बहुत यार कल तू।।
चमन मेरी मोहब्बत का जमाना।
आँखों से खुद आकर देखेगा।।
तारीफ कल को यहाँ कोई साजन।
किसी नाजमीन की नहीं करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)