Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,

मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
कभी दिल हारता है तो कभी किस्मत।❤️
#लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा

158 Views

You may also like these posts

बसंत
बसंत
Dr Archana Gupta
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
हौंसलों की उड़ान
हौंसलों की उड़ान
Arvind trivedi
Karma
Karma
R. H. SRIDEVI
वार्तालाप
वार्तालाप
Pratibha Pandey
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
Rituraj shivem verma
*Perils of Poverty and a Girl child*
*Perils of Poverty and a Girl child*
Poonam Matia
মহাদেবের কবিতা
মহাদেবের কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
पंचायती राज दिवस
पंचायती राज दिवस
Bodhisatva kastooriya
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा  करने की कोशिश मात्र समय व श्र
■ कुत्ते की टेढ़ी पूंछ को सीधा करने की कोशिश मात्र समय व श्र
*प्रणय*
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
उम्मीद से अधिक मिलना भी आदमी में घमंड का भाव पैदा करता है !
Babli Jha
** स्नेह भरी मुस्कान **
** स्नेह भरी मुस्कान **
surenderpal vaidya
“सत्य ही सब कुछ हैं”
“सत्य ही सब कुछ हैं”
Dr. Vaishali Verma
3769.💐 *पूर्णिका* 💐
3769.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
#दोहे
#दोहे
Suryakant Dwivedi
ज़िंदगी जीने को कुछ वक्त बाकी है!!
ज़िंदगी जीने को कुछ वक्त बाकी है!!
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"सलीका"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़माना
ज़माना
Rajeev Dutta
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
सत्य कुमार प्रेमी
*किसान*
*किसान*
Dushyant Kumar
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
*ई-रिक्शा तो हो रही, नाहक ही बदनाम (पॉंच दोहे)*
*ई-रिक्शा तो हो रही, नाहक ही बदनाम (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
How to say!
How to say!
Bidyadhar Mantry
तेरी एक मुस्कुराहट काफी है,
तेरी एक मुस्कुराहट काफी है,
Kanchan Alok Malu
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्यार शब्द में अब पहले वाली सनसनाहट नहीं रही...
प्यार शब्द में अब पहले वाली सनसनाहट नहीं रही...
Ajit Kumar "Karn"
अमन-राष्ट्र
अमन-राष्ट्र
राजेश बन्छोर
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
Loading...