मोहब्बत मुख़्तसर भी हो तो
मोहब्बत मुख़्तसर भी हो तो
उसे भूलने में उम्र
लगती है
वह चेहरा भूल भी जाता है
मगर उस से जुड़ी दिल की
सभी यादें
अमरबेल की तरह
रूह के शजर से शाख़
दर शाख़
लिपटी ही रहती हैं
उन्हें ख़ुद से जुदा करने में
एक उम्र लगती है!