मोहब्बत निर्मल गंगा जल ….
मोहब्बत एक गंगा जल, सी निर्मल कहानी है!
जो पी गया कबीरा, मीरा भी दीवानी है !
नदिया लाख मिला ले समंदर अपने में, प्यास किसी एक की पर कहां बुझाता है!
मोहब्बत में मजिंल पाना, आसां नहीं होता !
मिलीं जिन्हे मंजिलें, लगानी पड़ी जवानी है!
मोहब्बत खेल नहीं होता,जिसकी जीत ही
मंजिल है !
एे तो हार के भी,दिलों को जीत लेती है!!₹
रंजीत घोसी