मोहब्बत तो अब भी
मोहब्बत तो अब भी तुम से ही करें हम। इज़हार करने से न जाने क्यूं डरे हम।
आग के दरिया में डूबना ,काम नहीं आसां
मर्जी है खुद की ,किस किस से लड़ें हम।
बहुत मुश्किल होते है ,चाहत के मरहले
कदम इस राह पर रखकर नहीं डरे हम।
तू चाहे जितनी भी नज़र हमसे फेर ले
पलकें बिछाए हुए ,राह में है खड़े हम।
सुरिंदर कौर