मोहब्बत जिनके मन में है……
औरो से युहीं कोई खफा नहीं होता,
रूठते है वही मोहब्बत जिनके मन में है|
कोशिशे कितनी भी हो कम ही रहेगी ज़माने की,
मिल कर ही रहेंगे वो ,इबादत जिनके मन में है|
भले ही लंबी हो या कठिन हो ये राहें,
चल ही जाते है राही बगावत जिनके मन में है।
नही आसान होता है किसी के सामने झुकना,
वो माफ़ी माँग लेते है शराफ़त जिनके मन मे है|
महकता है हर पत्थर मेरी गली का,
आहट से उनकी,नजारत जिनके मन में है|
दिखावे से भरी है उनके घर की हर दीवार,
जता जाते है वो सियासत जिनके मन में है।
शुरू किया है सफ़र, तो खत्म करके ही दम लेंगे,
रास्ता काटने की ज़िद सलामत जिनके मन में है|
मोहब्बत की हवाएँ कोशिशे लाख ही करलें,
मिल ही नहीं पाते है वो, मसाफत जिनके मन में है।
कांच में करके कैद जुगनू, उजाला तो पा लेंगे,
कर ना पाएंगे राह रोशन अजीयत जिनके मन में है।
माफ़ करना गर ये गुस्ताखी लगे
तेरी मोहब्बतों से सजीं एक इमारत मेरे मन में है
तमन्ना तो है के गले लगा लूँ महफ़िल में पर,
उसकी गैर मिज़ाजी का इल्म सलामत मेरे मन में है|
लोग बहुत थे साथ मेरे आगाज़े सफ़र में..
मंजिल पर हूँ अकेला ये नदामत मेरे मन में है|
सजाये मौत ही मुक़र्रर होगी बेबफाई के एवज़,
पर कैसे बच निकलना है ये ज़हानत मेरे मन में है।
सौरभ पुरोहित …..☺