मोहब्बत के ही गीत_______गजल /गीतिका
चर्चे तो बहुत सुने होंगे ,आपने मोहब्बत के।
सुनो एक चर्चा, आज मैं सुनाता हूं।
मिल जाता जहां कहीं मुझे, मोहब्बत का दरिया,
मैं डुबकी उसमें लगाता हूं।।
तलाश में रहता हर दफा, होता न किसी से खफा।
दो बोल सुकून के बोल कर ,मुनाफा कमाता हूं।।
मेरे सफर में साथ मिल जाए ,हर एक जनाब का।
चौक चौबारे पर खड़ा होकर ,आवाज लगाता हूं।।
क्या मांगती है मोहब्बत ,फकत रहम दिली के।
समझ ले कोई हाले दिल, सब को बताता हूं।।
हे जिंदगी कभी दूर न करना ,मुझे इस मोहब्बत से।
मोहब्बत के ही गीत “अनुनय “मैं गुनगुनाता हूं।।
“”””””””””””राजेश व्यास अनुनय”””””””””