मोहब्बत के सफर…
मोहब्बत के सफर में हमसफर , यूं छूट जाते है |
हमारे साथ जो रहते हैं, हमसे रूठ जाते हैं |
बनाये थे कभी जो साथ , उनके प्रीत के रिश्ते ;
निभाऊं लाख मैं लेकिन, ये रिश्ते टूट जाते हैं |
विशेष :) यह मेरा प्रथम शुद्ध मुक्तक था जिसे संपूर्ण शर्तों को पूरा करते हुये लिखा | रचना दिनांक १०/०७/२०१६ बदायूं में|