मोहब्बत के खतों के बदलते रंग
पहली नजर:-
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जब देखा था तुझे, वो पहली मुलाकात थी ।
वो कल की नही, पिछले जन्म की बात थी ।।
जब पहली बार तुझे देखा, मैं ठहर गया था ।
बंद पड़ा दिल मेरा, जैसे शुरू हो गया था ।।
मेरी आँखे दूर तक, तुझे देखती रही ।
मेरी परछाई तेरे परछाई में समाती रही।।
तुझे देखकर खोने लगा, दिन रात गुम होने लगा ।
गुमसुदा होता हूँ हर कहीं, तेरी आँखों में खुद को पाने लगा ।।
हर दिन तेरे बारे सोचता रहता हूँ ।
तू सीने में है और तेरे ख्वाब बुनता रहता हूँ ।।
हल्का सा मुस्कुराना, और पलकें झुकाना ।
जिस पर मैं मर मिटा, वो तेरी यही अदा है ।।
वादे:-
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आ फासला मिटादें, पेन और श्याही बनकें ।
नया इतिहास लिख दें, समंदर में नया रास्ता बनाके ।।
चलो मोहब्बत का आगाज करते है अंत तक ।
एक दूसरे के साथ चलते है राख बनने तक ।।
आओ चलो नया संसार बनाते है ।
मोहब्बत ही मोहब्बत हो ऐसा ख्वाब सजाते है ।।
खुले आसमान में हम उड़ते रहेंगे ख़्वाबो की तरह ।
हर देश में अपना घोंसला रखेंगे परिदों की तरह ।।
तेरी मोहब्बत का असर है, मैं आदमियत समझने लगा हूँ ।
किसी बच्चे को रोता देख, मैं भी आँखे पोछने लगा हूँ ।।
गहराई :-
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तेरे पास बैठकर, बोलता कम सुनता ज्यादा हूँ ।
तुझे देखता कम, तुझमें समाता ज्यादा हूँ ।।
हर पल हर घड़ी मेरी माधहोशी बढ़ती जाती ।
तू जब दूर जाती है, मेरे और भी करीब आती जाती है।।
तुम दूर घाटियों से निकलती शीतल सरल नदी हो ।
मैं तपता ठहरा सागर हूँ जिसमें हलचल करती तुम्ही हो ।।
मैं कठोर,पथरीली,बेरहम चट्टान हूँ ।
तुम औजार हो, छूकर जिसे तराशती तुम्ही हो ।।
जब तूने कहा था, हम मिले है हम मिलेंगे हर बार ।
मैंने तभी जाना तुम ही हो, मेरा पहला और आखिरी प्यार।।
जब तेरे पास होता हूँ, तुझ में खो जाता हूँ ।
हर बार तेरे आँचल में, गहरी नींद सो जाता हूँ।।
दिन भर का थका हुआ, इसी मोड़ पर ठहर जाता हूँ ।
तेरी आँखों में प्यार देख, सारी थकान भूल जाता हूँ ।।
तेरा साथ:-
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शर्दी में धुप, गर्मी में छाँव, बरसात में बूँद बनकर आयी हो ।
पतझड़ के पत्ते गिराकर, बसन्त के फूल बनकर आयी हो।।
अब अकेला रहना मेरा मुश्किल हो रहा है ।
मेरी रूह का मेरे ज़िस्म में रहना मुश्किल हो रहा है।।
मैं परिंदा हूँ तुम पंख हो दूर आसमान की ।
मैं तिनका हूँ, तुम घोंसला हो मेरे जहान की ।।
इस ईंट, पत्थर, के चट्टानी शहर से कहीं और वसेंगे ।
जहाँ ठोकरें कम,नफ़रतें कम, चलो कहीं और रहेंगे ।।
अब जन्नत भी मिल जाये तो पैर से ठुकरा दूँगा ।
जहां से तेरा दीदार हो उसी को जन्नत बना दूँगा।।
मैंने तुम्हे जब जब पाया, हर वार खोने से डरता हूँ ।
मैं वो फूल हूँ जो खुसबू के बिखर जाने से डरता हूँ।।
मोहब्बत के खत:-
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ये लफ्ज़ मेरे, मोहब्बत के एहसास मेरे ।
काजग से नहीं, दिल की दीवारों से पढ़ना होगा ।।
अगर तुझे पड़ना है, इनका एहसास करना है ।
तो नज़र मोहब्बत की और दिल ख़ुदा का रखना होगा।।
ये मिट जाए पानी या तकदीर से ऐसा नही होगा
ये ख़ुदा की नूर है इनको जिन्दा रहना ही होगा।।
याद:-
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चाहता हूँ समंदर में बर्फ की तरह पिघल जाऊं ।
अपनी रूह को तेरे ज़िस्म में खो कर गुमसुदा हो जाऊं ।।
तू चमकता चाँद है और मैं फ़लक का तारा हूँ ।
तेरी चांदनी में नहाकर मैं तेरा दाग़ हो जाऊं ।।
अनन्त आकाश है और असंख्य जलते चराग़ ।
तू मेरी रौशनी और मैं तेरा आफ़ताब हो जाऊं ।।
बिखराब:-
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तेरे आने की ख़ुशी थी, जाने का गम उतना न हुआ ।
मैं तो बरबाद था, चलो कोई तो आवाद हुआ ।।
लोगों ने गुमनामियों में भी चराग़ जला दिए ।
अँधेरे में भटके हुओं को, रास्ते दिखा दिए।।
जब तेरी याद आती है, बाहर निकल जाता हूँ ।
कभी धूप तो कभी छाँव में बैठ जाता हूँ ।।
मेरी सूनी दीवारें पूछती है, वो तश्वीरें कहाँ है।
जो तेरे दिल में वसी है, वो तेरी हलचलें कहाँ है ।।
।। घर वसाने में सालों गुजर जाते है और बिखरने में एक पल ।।