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25 Jul 2016 · 1 min read

मोहब्बत की पहचान

मोहब्बत ना किसी से कहकर होती है
जज्बातों के समन्दर में ये बैहकर होती है

तबाह हो जाती हैं कितनी शख्सियतें इसमें
ये तो मुश्किलें तमाम सहकर होती है

जो बेवफा थे वो तो चले गए जनाब
सच्चे रिश्तों की पहचान दूर रहकर होती है

Language: Hindi
2 Comments · 921 Views

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