मोहब्बत की उम्मीद
जो मैं चाहता हूं
वो कहता ही नहीं है
कैसे समझाऊं उसे
वो समझता ही नहीं है।।
जो हकीकत है
उसपर पर्दा नहीं है
जो मैं देखता हूं
वो देखता ही नहीं है।।
है सपना मेरा बस एक
जाने क्यों वो भी पूरा होता नहीं है
नहीं गुजरता एक भी दिन
जब दिल उसके लिए रोता नहीं है।।
कभी नजरों से नज़र
उससे मिलती ही नहीं है
उसकी नज़र में क्योंकि
मेरे लिए इश्क है ही नहीं है।।
नहीं मानता दिल
इसमें उसकी गलती नहीं है
कुछ तो बात होती है
मोहब्बत यूं ही पलती नहीं है।।
है नादान वो भी
उसकी भी गलती नहीं है
कैसे हां कह दे वो भी
जब उसको मोहब्बत नहीं है।।
जब होगी मोहब्बत
फिर वो छुपाये छुपती नहीं है
लाख कोशिश करले
कोई, फिर वो रुकती नहीं है।।
करूंगा इन्तज़ार उसका
जो मुझसे मोहब्बत करती नहीं है
उसके दिल में भी मेरे लिए
जबतक मोहब्बत पलती नहीं है।।