मोहब्बत का वादा था
मोहब्बत का वादा था ना कम था ना ज्यादा था
साथ साथ चलना था जिंदगी के हर कदम पर ,
रूठना था मनाना था छोटी-छोटी बातों पर, लड़ाई थे
झगड़े थे पर मोहब्बत को निभाना था
हां मोहब्बत का वादा था न कम था न ज्यादा था
मुश्किलें तो आएंगी बहुत पर यकीन था साथ चलते रहेंगे हम हंसते मुस्कुराते निकल जाएंगे यह पल यही
महोब्बत का वादा था न कम था न ज्यादा था
याद है वह पल जब पहली मुलाकात हुई थी आंखों ही आंखों में कई बात हुई थी , बिन बोले ही बातों को समझ जाते थे रूठते हम थे मनाते थे आप, यह सिलसिला हमारा ऐसे ही चलता रहता था इसका एक अपना मजा था
मोहब्बत का वादा था ना कम था न ज्यादा था
मोहब्बत को ना जाने लगी किसकी नजर
रिश्तो में आने लगी दूरियां के मंजर
ना चाहते हुए भी होने लगी है दूरियां
पर हम निभाएंगे अपनी मोहब्बत
क्योंकि मोहब्बत का वादा था ना कम था ना ज्यादा था ॥
सोनल चौधरी