मोहब्बत का पहला एहसास
वह दूर है मुझसे,
फिर भी मेरी आँखों के सामने रहती है,
मुझे मोहब्बत है उससे उतनी,
उसकी तस्वीर की जरूरत नहीं पड़ती है….!!
कभी बालों को हवा में फैलाती है,
तो कभी आँखों से इशारे करती है,
कभी मुझे देखकर शरमाती है,
तो कभी सीने से चिपक जाती है….!!
उसकी यादों में ऐसे डूबा हूँ,
जैसे सागर में बूंद डूबी रहती है,
मेरा धड़कता दिल सीप है उसके लिए,
जब खोलूं तो मोती बन जाती है…!!
यह पहला प्यार है मेरा,
यही अब आखिरी हो रहा है,
क्षितिज अधूरा है धरती के बिना,
उसकी यादों में यही अधूरापन पूरा हो रहा है..!!
मुक्कमल होगा इश्क़ मेरा,
अब मुझे इसकी भी परवाह नहीं है,
मैंने उसे अपना मान लिया है,
अब उसकी हाँ की भी जरूरत नहीं है..!!
prAstya…….. (प्रशांत सोलंकी)