मोहब्बत आजमाती है
मोहब्बत आजमाती है जनूं को।
छीन लेती है ये ,पर सकूं को।
बेगाना खुद से ये, कर देती है,
आंसू आंखों में भर देती है।
इश्क इतना भी आसां नहीं है
एक इसका आस्तां नहीं है।
घबराता दिल बहुत है जिसमें
सनम पत्थर के होते हैं इसमें।
एक आम शख्स खुदा हो जाये
आगे इसके कुछ न कह पाये।
सुरिंदर कौर