मोहबत की जीत
मोहबत की जीत
सोहन रोजाना की तरह आज कॉलेज को निकला ही था कि ,कुछ दूर जाने के बाद उसकी नजर सामने खड़े हुये कुछ बच्चों पर पड़ती है।जिन्हें एक दुबली पतली साबली सी औरत लेकर स्कूल के बाहर खड़ी है ।और ये सभी बच्चे पैरों से विकलांग है और वे अपने स्कूल के अंदर जाना चाहते है ।लेकिन आज स्कूल के बाहर कोई नही खड़ा है जो उन्हें अंदर तक छोड़ सके।
तभी सोहन वहाँ पहुँचता है और उस औरत से पूछता है कि क्या बात है आप कुछ परेशान नजर आ रही है।तो वो बोलती है कि इन बच्चों को अंदर जाना है लेकिन कोई ऐसा नही है जो इन्हें अंदर भेज सके।
तो सोहन कहता है आप चिंता मत करो मैं कोशिश करता हूँ लेकिन बच्चों की संख्या बहुत होती है वो कुछ देर सोचता है तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आता है ।और सोहन स्कूल के गेट को बाहर निकल कर बच्चों से कहता है कि तुम इस पर पैर रखो ।औऱ धीरे धीरे सभी को अंदर भेज देता है।सभी बच्चे स्कूल के अंदर जाकर बहुत खुश होते है।और वो औरत सोहन का धन्यवाद कहती है और बोलती है आज तो ऐसा लगा कि शायद बच्चे आज के कार्यक्रम में पहुँच भी नही पायेंगे।लेकिन आप ने अंदर पहुँचकर हम पर बहुत अहसान किया तो सोहन बोलता है कि कोई बात नही है ये तो मेरा कर्तव्य था।
और वो कॉलेज के लिये आगे बढ़ता है और कॉलेज पहुँचकर लेक्चर लेता है।औऱ इंटरवल होते ही वो कैंटीन पहुँचता है।औऱ खाना लेकर टेबिल पर बैठ जाता है तभी उसी की टेबल पर एक लड़की आकर बैठ जाती है जो बिल्कुल सीधी सादे कपड़ों में होती है लेकिन होती बहुत है सुंदर है।उसे देखकर सोहन सब भूल जाता है सिर्फ उसी को देखता रह जाता है।
तो वो बोलती है ऐसे क्या देख रहे हो ?
कभी लड़की नही देखी क्या?
तो सोहन बोलता है सॉरी ।कुछ नही देख रहा ।तुम नई हो कॉलेज में क्या?
तो वो लड़की बोलती है हाँ। मेरा नया एड्मिसन है।औऱ सोहन बोलता है
हाय मैं सोहन तुम्हारा नाम क्या है ?
तो वो बोलती है मेरा नाम जिया है ।
क्या अब मैं खाना खा लूँ।
तो सोहन बोलता है जरूर क्यो नही।औऱ
इस पहली ही मुलाकात मैं सोहन जिया की और आकर्षित हो जाता है।औऱ उसे बिल्कुल ऐसा महसूस होता है जैसा मैंने इन दो पंक्तियों में कहा है कि,-
“बड़ा अच्छा लगता है रास्ते मे तेरा मिल जाना
जैसे किसी अंधेरी रात में ये चाँदनी खिल जाना
और जो कही मैं सुकून मिलने की बात करूँ
तो कड़कती धूप मे वहाँ पे वर्फ़ बारी हो जाना”
और इस अहसास के साथ वो आज घर लौटता है तो वो समझ जाता है कि ईश्वर ने मेरी मदद के बदले मुझे उस सुंदर सी परी से मिलवाया है।और वो बहुत खुश होता है उसके रूप को सोच सोच कर।
तभी दूसरे दिन वो कॉलेज जाने को तैयार होता है और जैसे ही कॉलेज पहुँचता है कि उसे कॉलेज गेट पर जिया मिल जाती है।हालांकि जिया को कोई फर्क नही पड़ता सोहन को देखकर लेकिन सोहन आज फिर जिया को देखता रह जाता है।तभी उसका दोस्त राकेश आ जाता है और वो बोलता है ।
यार सोहन तू कहाँ खोया है कोई भूत बूत या कोई परी बरी देख ली क्या ?
तो सोहन बोलता है ऐसा ही समझ यार क्या लड़की है। तो राकेश बोलता है कि ऐसी कैसी लड़की है भाई तो सोहन किसी कवि की तरह बोल पड़ता है की यार उसे ईश्वर ने इसे बड़ी फुर्सत से बनाया है।वो बिल्कुल ऐसे लगती है जैसे इंद्र के दरबार कि कोई अफ्सरा हो।या मोहबत की दुनिया की कोई हसीन परी जिसकी पलकों ऐसी लगती है जैसे उन्हें काला पन किसी अंधेरी रात से लाकर दिया गया है।और उसकी नीलमणी सी नीली आँखो को नीला पन समंदर की गहराई से लाकर दिया गया है।उसके होठ ऐसे लगते है जैसे उन्हें कमल की कोमल पाँख से बनाया है शायद तभी वो इतने नाजुक औऱ अमृत मय है।तथा वओ जब मुस्कुराती है तो ऐसा लगता है मानो ईश्वर ने उसकी मुस्कान गुलाब से लाकर दी है जिसके आते ही वातावरण में चारो ओर ख़ुशबू ही खुशबू फैला जाती है।औऱ उसके दाँत होठों के बीच बिल्कुल ऐसे लगते है जैसे गुलाबो की बाग़ में कोई कुंदकली का पुष्प हो और गुलाबों के बीच अपनी अलग चमक छोड़ रहा हो।
अगर उसके चेहरे की कहूँ तो बिल्कुल शरद पूर्णिमा के चाँद जैसा जिसमे कोई धब्बा न हो सिर्फ चाँदनी मय ।और उसकी नाक में जो बाली है ऐसी लगती है जैसे किसी तोते की चोंच हो।उसका बदन भागीरथी के बालू के समान बिल्कुल स्वेत और बनावट गंगा की तरह जिस पर चाँदनी बिखरी हो ।
तभी राकेश बोलता है यार बस कर तू तो बिल्कुल कवियों जैसी बात करने लगा ।अभी उसे देखा ही तो है या कुछ बात आगे बड़ी।तो सोहन बोलता है अभी कुछ नही हुआ।तो राकेश बोलता है इतनी जल्दी देवदास मत बन वरना फिसल जायेगा औऱ किसी मतलब का नही रहेगा ।क्योंकि ये मोहबत एक नाइलाज बीमारी है।और चल लेक्चर का टाइम हो गया।और जब वो लेक्चर लेने पहुँचा तो जिया को अपने ही क्लास में पाकर बहुत खुश हुआ।मानो उसे कोई ऐसी चीज मिल गई जिसे वो वर्षो से ढूढ रहा था।औऱ सारे लेक्चर में वो सिर्फ उसे ही देखता रहा।लेक्चर के बाद वो केंटीन पहुँचे तो जिया खुद ही सोहन की टेबिल पर खाना खाने बैठ गईं और सोहन से बोली क्या तुम मेरी मदद करोगें?
तो सोहन ने कहा हाँ !क्या बात है?
तो जिया बोलती है कि मैंने थोड़ा लेट एडमिसन ले पाया है तुम मुझे अपनी नोट्स दे दो।तो सोहन बोलता है सिर्फ इतनी सी बात है ।कल ले लेना।और जिया ने सोहन से हाथ मिलाया ।हाथ मिलने में सोहन का लगा जैसे जिया ने उसका हाथ कुछ दबा दिया है बिल्कुल वैसे ही जैसे राहत इंदौरी जी ने अपने शेर में कहा था कि
राज जो कुछ हो इशारों में जता भी देना
हाथ जब मिलाओ उनसे तो दबा भी देना
लेकिन ये सोहन का सिर्फ भ्रम था।और जिया खाना खाकर हँसते हुये बाहर निकल गई।और दूसरे दिन सोहन नोट्स लेकर आया और उसने जिया को नोट्स दे दी।जिससे वो दोनों अब दोस्त तो बन ही चुके थे।लेकिन रिया के मन मे सोहन के लिये बिल्कुल भी ऐसी फीलिंग नही थी वो सिर्फ उसे एक अच्छा दोस्त समझती थी।
लेकिन ये भी तो सच है कि एक फ़्रेंदसिंप बहुत ही जल्दी एक लवशिप में कनवर्ट हो जाती है।लेकिन ऐसा करने के लिये एक हिम्मत की जरूरत होती है जो जिया नही जुटा पा रही थी। क्योंकि वो एक छोटे से कस्बे से आई थी जहाँ उसके घर वाले उसे आगे पढ़ना भी नही चाहते थे लेकिन जब उसने जिद की तो वो लोग मान गये लेकिन उन्होंने साफ बोल दिया था।किसी भी लड़के से बोलने की जरूरत नही है।सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना अगर इधर उधर दिया तो उस दिन मेरी बंदूक होगी और तुम्हारा सिर ।उसके 7 भाई थी उन्होंने भी माना किया और कहने लगे इसकी शादी करा दो इसके बाद सब इसका पति जाने लेकिन जिया के पिता सुलेमान ने कहा तू चुप कर मुझें इस पर भरोसा है।लेकिन अगर लड़की तूने मेरा भरोसा तोड़ा तो अच्छा नही होगा।मैं भूल जाऊँगा कि तू मेरी बेटी है।
इस डर से जिया ज्यादातर लड़को से दूर ही रहती है वो सोहन से भी दूर रहती है लेकिन सोहन ने उसकी मदद की थी औऱ उनकी फ़्रेंदसिंप भी थी तो वो दोनों कॉलेज कैंटीन में बैठकर बात कर लेते ।सोहन बाहर भी बात करने की कोशिश करता लेकिन जिया हमेशा दूर भागती ।लेकिन फिर भी सोहन को लगने लगा कि जिया उससे प्यार करती है।तभी तो वो सिर्फ उसी से बात करती है।
और सोहन ने कुछ ही दिनों बाद एक अच्छी और मंहगी बाइक ले ली।उसने सभी को पार्टी दी।और जिया को भी बुलाया ।सभी ने कॉलेज केंटीन में पार्टी सेलीब्रेट की औऱ सोहन ने जिया से कहा कि क्या तुम मेरे साथ बाइक पर घूमने चलोगी तो जिया ने कहा मुझे बाइक से डर लगता है।और बात टाल दी।अब सब कुछ ठीक चलने लगा वो केंटीन के बाहर भी मिलने लगे।तभी राकेश ने सोहन से कहा यार अब उसे प्रपोज तो कर दे ।और सोहन ने राकेश की बात मान ली।और शाम को वो जिया को प्रपोज करने ही वाला था कि उसे गेट के बाहर एक बूढ़ा व्यक्ति दिखाई दिया जिसे रेलवे स्टेशन तक जाना था लेकिन उसकी कोई भी मदद नही कर रहा था।तभी सोहन बोला जिया सॉरी फिर कभी बात करता हूँ और जाकर बूढे बाबा से पूछा बाबा क्या बात है तो उन्होंने कहा मुझे बेटा रेलवे स्टेशन तक जाना है तो सोहन उसे लेकर चला गया।जिया ने सोहन को इस तरह लोगो की कई बार मदद करते हुये कई बार और भी देखा था जिससे उसके दिल में सोहन के लिये कुछ जगह बन गई।
तभी दूसरे दिन सोहन जब कॉलेज पहुँचा तो उसे कॉलेज ग्राउंड में कुछ भीड़ दिखाई दी ।जहाँ एक लड़की बचाओ बचाओ कह कर चीख रही थी और एक गुंडा उसे मार रहा था।सोहन से ये देखा नही गया और उसने इसका विरोध किया ।तभी वो सोहन से झगड़ने लगा और सोहन को मारने लगा।इतने में वहाँ पुलिस आ गई और उस गुंडे को पकड़कर ले गई।और सोहन को हॉस्पिटल पहुँचा दिया।ये सब देखकर जिया को सोहन से प्यार हो गया लेकिन उसे वो डर था।तभी जिया सोहन से मिलने हॉस्पिटल पहुँची औऱ सोहन के पास गई और बोली सोहन कैसे हो ।तो सोहन ने कहा जिया में तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ ।तब जिया ने कहा बोलो
तो सोहन ने कहा जिया मैंने तुम्हें पहली बार देखा मुझे तब से ही तुमसे प्यार हो गया है।
ये सुनकर जिया चुप रही क्योंकि वो खुद भी सोहन से प्यार करती थी इसलिये झूठा ही गुस्सा होने का नाटक बनाकर बाहर चली गई।और सोहन ने समझा वो उससे प्यार नही करती है ।और सोहन बिल्कुल उदास हो गया।लेकिन सोहन ने अभी हार नही मानी और हॉस्पिटल से डिसचार्ज होने के बाद उसने फिर जिया से कहा तुमने मेरी बात का जबाब नही दिया तो जिया चीख पड़ी और बोली तुम समझते क्यों नही हो सोहन मैं तुमसे प्यार नही कर सकती ।तो सोहन ने कहा क्या सिर्फ इसलिये तुम मुझसे प्यार नही कर सकती कि मैं हिन्दू हूँ और तुम मुस्लिम ।तब जिया ने कहा ऐसा बिल्कुल नही सोहन बस मैं तुमसे प्यार नही करती औऱ वो रोती हुई वहाँ से चली गई।और सोहन बिल्कुल उदास मौन तन्हा सा हो गया।जो मुस्कान उसके चेहरे पर रहती वो कही दूर चली गई।अब वो न तो केंटीन में जाता और न ही क्लास में एकांत में बिल्कुल चुपचाप बैठा रहता ।राकेश ने भी उससे मिलने की कोशिश की लेकिन उसने बात नही की।और इधर जिया के दिल मे मोहबत ने तूफान ला दिया ।वो सोहन के बिन उदास तो थी ही साथ मे सोहन जैसे दर्द से भी गुजर रही थी।और तभी उसकी हिम्मत जबाब दे गई ।उससे अकेला पन सहन नही हुआ और उसने सोहन से जाकर सब कुछ बता दिया।और ये भी बता दिया कि वो भी उससे बेपनाह मोहबत करती है।और बोली कि, मैं अपनी जान तो ख़तरे में डाल सकती हूँ लेकिन तुम्हारी नही
तो सोहन बोला कि तुम्हारे बिन मुझे पल पल मरना होगा उससे तो अच्छा है कि हम दोनों साथ में चैन से जीकर मरे।
और सोहन ने कहा कि ये जरूरी नही कि हम सारी जिंदगी जिये बल्कि हम उन पलों को जी ले जिनमें सारी जिंदगी हो
ये बात सुनकर जिया का भी डर कुछ कम हो गया और वो दोनों अब प्यार के जज्बात में पड़कर मोहबत के उन लम्हो को भरपूर जीने लगे।तभी सोहन जिया को अपनी बाइक पर बिठाकर ब्रिज पर के गया ।जिया को आज इतना मजा आया जितना कि उसे आज तक नही आया वो बहुत खुश थी। लेकिन उसकी खुशियों को ग्रहण लगने की बारी तब आई जब किसी ने जिया के घर जाकर बिज वाली बात बताई ।लेकिन उसके घर वालो ने उसकी बात पर भरोसा नही किया ।पर इस बात की सच्चाई जानने के लिये उन्होंने अपने बड़े बेटे हुसैन को शहर भेज दिया।लेकिन उसे कॉलेज में इस बात की किसी ने भनक भी न लगने दी।लेकिन इन सब बातों से जिया बिल्कुल अनजान थी।और कुछ दिन बाद जब वो डिनर पर गई तो सलीम नाम के लड़के ने उनकी फ़ोटो खींच ली।और ये सब सुलेमान को बता दिया कि उसकी लड़की किस तरह से गैर मजहबी लड़के के साथ मज़े लूट रही है।तभी जिया के सातों भाई दूसरे दिन कॉलेज पहुँच गये।औऱ जिया से बोले अपना सामान पैक करो और घर चलो लेकिन तभी वहाँ सोहन आ गया और उसने जिया को हाय बोला।इतना सुनते ही जिया के छोटे भाई नसीब ने सोहन को मारना चालू कर दिया और ये देखकर उन सभी ने सोहन को खूब मारा और अधमरा छोड़कर जिया को लेकर अपनी गाड़ी में बैठ चले गये।तभी सोहन के दोस्तो ने उसे हॉस्पिटल पहुँचाया औऱ उधर जिया को उसके घर कई प्रकार से प्रताड़ित किया गया।और उसकी शादी फिक्स करवा दी।ईधर जब सोहन कुछ ठीक हुआ तो उसने जानकारी ली और एक दोस्त के सहारे से वो जिया के गांव पहुँच गया।उसे सिर्फ वहाँ पर जिया के भाई ही जानते थे इसलिए उसे आसानी से रहने को ठिकाना मिल गया और उसे लेकर आया था उसने कहा भाई इससे ज्यादा मैं तेरी औऱ मदद नही कर सकता ।औऱ वो उसे छोड़कर कॉलेज आ गया।तभी सोहन को पता चल गया कि 7 दिन बाद उसकी शादी है और जिया ने खुद को ऊपर के कमरे में बंद कर लिया है।उसी रात चुपके से वो सुलेमान की छत पर जाकर पहुँच गया। वहाँ जाकर उसने देखा कि चारो तरफ हथियार लिये कई लोग पहरा दे रहे है।और कई पहलवान नीचे सो रहे है लेकिन सोहन को आज उनका डर नही लगा और वो जिया के कमरे में पहुँच गया और जिया सोहन को देखकर बहुत खुश हुई लेकिन उसने कहा कि यहाँ तुम क्यो आये।ये लोग तुम्हें मार देंगे।तो सोहन ने कहा मुझे यहाँ कोई नही जानता और सोहन नीचे आकर लेट गया।और वो सुलेमान की खातिर दारी में लग गया।चार दिन में उसकी लगन देखकर सुलेमान उस पर बहुत खुश रहने लगा और अगले दिन जिया के सभी भाई बाहर थे तो जिया को बाजार सुलेमान ने सोहन के साथ भेज दिया।हालांकि जिया ने तो कहा चलो हम भाग चलते है लेकिन सोहन ने कहा तुम्हारे पिताजी मुझ पर बहुत भरोसा करते है मैं भरोसा नही तोड़ सकता लेकिन आज रात को हम तुम भाग जायेंगे।ये कहकर जिया को सारी शॉपिंग करा कर सोहन घर ले आया।और तभी कुछ देर बाद जिया के भाई आ गये औऱ किसी तरह से सोहन को उन्होंने देख लिया औऱ जैसे ही सोहन को देखा वो उस पर टूट पड़े ।जब ये बात सुलैमान को पता चली तो उसने बन्दूक सोहन की छाती पर टिका दी।तभी जिया बोली देख लो ।इतना है तुम पर भरोसा मैंने कहा था कि भाग चलो लेकिन तुम नही माने।औऱ देखलो उसका नतीजा।इतना कहकर उससे बन्दूक की नली अपने गले से लगा ली।ये देखकर सुलैमान ने सोहन को तो छोड़ दिया और बंदूक की नली जिया से हटाई लेकिन जिया ने ट्रगर दबा दिया और गोली जाकर सोहन के पेट मे पड़ी ।सुलैमान ने तत्काल जिया से बंदूक छुड़ाई और दौड़कर सोहन को उठाया।और उसे हॉस्पिटल लेकर गया।जिया भी उदास होकर हॉस्पिटल में बिन कुछ खाये पिये बानी रही ।हालांकि सोहन के बचने के चांस बहुत कम थे लेकिन जिया की दुआएं
असर लाई और सोहन बच गया।तब सुलैमान ने कहा कि सोहन में सच मे जिया से बहुत प्यार करता है तभी तो मौत के यहाँ तक आने में नही डरा।ओर विस्वास करने लायक भी है क्योकि जिया को अपने साथ ले जाने के बाद भी वो उसे वापस ले कर आया।इसलिये सोहन की शादी में जिया से कराने को तैयार हूँ ।लेकिन सोहन को यहाँ से बहुत दूर जाना होगा।और सोहन ठीक होने के बाद जिया से शादी कर उस गाँव से कही दूर चला गया।और इस तरह उनकी मोहबत तमाम मुस्किलो के बाबजूद भी जीत गई।
तभी ईश्वर ने मुझसे लिखवाया है कि,:-
“सच्ची मोहबत की कभी काट नही होती
जो मोहबत है तो उसकी जात नही होती
भले ही दुनियाँ सामने क्यों न हो चाहत के
फिर भी मोहबत की कभी मात नही होती”
ऋषभ तोमर