मोहबत और चाय
🌱🌱☕ चाय ☕🌱🌱
☕ पानी की गर्माहट में ☕
☕ पत्तियों ने रंग बिखेरा है ☕
☕ चीनी ने भी आकर इनको घेरा है ☕
☕ अदरक और इलायची में समा ठहरा है ☕
☕ दूध भी जाकर इनमें मिल बैठा है ☕
☕ कुछ उबाल से आने लगे ☕
☕ खुशबू से नथुने सहलाने लगे ☕
☕ बाहर भीड़ सी खड़ी है ☕
☕ सब धर्मों की कतार सी लगी है ☕
☕ क्या पंडित , क्या मौलवी ☕
☕ सबमे होड़ लगी है ☕
☕ जात ना देखे , पात ना देखे ☕
☕ अमीर ना देखें ना देखे कोई गरीब ☕
☕ रंग ना देखे , रूप ना देखे ☕
☕ सबके संग खुश ☕
☕ पी के इसको सब ☕
☕ अपने गम भूल जाते है ☕
☕ कोई खुद सा नही रहता ☕
☕ सब एक हो जाते है ☕
☕ ये चाय है हुजूर ☕
☕ पीजिए ओर कीजिये गुरुर ☕
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