मोहन कृष्ण मुरारी
हे मोहन कृष्ण मुरारी तेरी महिमा अति प्यारी
छवि तेरी है ऐसी अलौकिक जग को लगती न्यारी
जग में ऐसा लोक नहीं है जिसमें ना हो तेरा वास
शाम सवेरे तुझको पूजे लेके दिल में कृष्ण का आस
करते हो तुम सबकी रक्षा रहता है भक्तों का ख्याल
जो भी तुमको दिल से पूजे रहता है वहाँ तेरा निवास
कण-कण में तुम ही बसे जीवों के अंदर भी समाये
जो भी लेते प्रेम से नाम उसको तुम दिल में बसाये
भक्ति हो तुम शक्ति हो तुम प्रेम की अभिव्यक्ति हो तुम
राधा के मन में जो प्रेम बसा है उस प्रेम की शक्ति हो तुम
प्रेम का तुम पाठ पढ़ाते सबके दिल में प्यार जगाते
प्रेम से जो कोई तुमको पूजे प्रेम की वो भक्ति हो
तुम
आरम्भ भी तुम अंत भी तुम जीवन का मधुरस भी तुम हो
प्रेम का आधार तुम धर्म का विस्तार तुम भक्तों के मन का विश्वास तुम हो
ममता रानी