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21 Apr 2023 · 1 min read

मोहतरमा कुबूल है….. कुबूल है /लवकुश यादव “अज़ल”

कुछ उजाले दिन कुछ अंधेरी रातें,
मोहब्बत का ये भी एक दस्तूर है।
तुम्हारी याद में ये गर्मी का मौसम,
मोहतरमा कुबूल है….. कुबूल है।

कुछ अधूरी नींदे कुछ अधूरे सपने,
होंठो पर मुस्कान दिल की धड़क।
आंखों में नशा कोई पुराना जरूर है,
मोहतरमा कुबूल है….. कुबूल है।।

इलाहाबाद की शाम चाय का नशा,
ये शहर कुछ बदला बदला जरूर है।
मोहब्बत का ये भी एक दस्तूर है,
मोहतरमा कुबूल है….. कुबूल है।।

कटरा की मशहूर गलियों की शाम,
और होंठो पर सिर्फ तुम्हारा नाम।
आंखों में नशा कोई पुराना जरूर है,
मोहतरमा कुबूल है….. कुबूल है।।

लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश

3 Likes · 1 Comment · 278 Views

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