*”मोलभाव”*
“मोलभाव”
सुमन बारिश के मौसम में भींगते हुए सब्जी ले रही थी एक हाथ में छतरी दूसरे हाथ में थैला व पर्स रखी हुई थी।सब्जी लेकर लौटते समय ताजे भुट्टे दुकान पर दिखाई दिए सुमन ने दुकानदार से पूछा – भैया भुट्टे कैसे दिए तो उसने कहा ,30 रुपये के चार भुट्टे मैडम जी इस पर सुमन ने कहा – 30 के छह भुट्टे दे दो भुट्टे की साइज कुछ छोटे हैं कुछ बड़े भुट्टे दिख रहे हैं। कुछ देर रुककर 6 छह भुट्टे दे रहे हो …..
इस भुट्टे वाले ने किसी और ग्राहक को भुट्टे देने में लग गया।
कुछ देर बाद बेमन से कहता है चलो ठीक है ले लीजिए 30 रुपये के छह भुट्टे दे देता हूँ अब वह भुट्टे को छांटकर पालीथिन में डालने लगा तो सुमन भी पर्स से पैसे निकालते समय कुछ तिरछे होकर देख रही थी कि भुट्टे तो गिनती में ज्यादा दे रहा है लेकिन कुछ भुट्टे की क्वालिटी छोटे आकार की थी जो भुट्टा गिनती में दे रहा था। भुट्टे छोटे आकार में कम दाना वाला दिख रहा था।
सुमन की नजर दुकानदार पर पैनी नजर पड़ गई थी अब सुमन के पति सचिन सोचने लगा कि अब श्रीमती जी इस दुकानदार पर बरसेगी इसलिए अपना चेहरा कुछ दूसरी ओर घुमा लिया था ये तो अब ठन ही जाएगी और दुकानदार से मोलभाव करके ही मानेगी।
अब सुमन ने बोलना शुरू किया देखो भैया हम भी ईमानदारी से कमाते हैं और खाते हैं और तुम भी ईमानदारी से बेचते हो और खाते हो पेट के लिए ही सब कुछ करना पड़ता है।
हम भी कर्म कर रहे हैं और तुम भी अपना कर्म कर रहे हो …..! ! !
मैने तुमसे 2 भुट्टे ज्यादा क्या मांग लिए तुमने तो हद कर दी सारे भुट्टे के आकार छोटे कम दाने वाले भुट्टे मुझे पकड़ा दिये ….ऐसा नही होता है या तो आप मुझे 6 छह भुट्टे बड़े व भरे दाने वाले भुटटे दीजिये या फिर रहने दीजिए।
इस पर भी भुटटे वाला कहने लगा – क्या मैडम एक तो मैं आपको 2 भुटटे ज्यादा दे रहा हूँ और उस पर आप नाराज भी हो रही हैं ….
तो ठीक है ये आपके भुटटे ले लीजिए सुमन कहने लगी अगर अच्छे भरे दानों वाला भुट्टा देना हो तो दीजिये वरना मैं तो चली ये पकड़ो अपने पास रक्खो किसी और को बेच देना ….! ! !
इस पर भुटटे वाले ने भी कुछ देर सोचा ऊपर वाला तो देख रहा है बेईमानी करते हुए मैडम ने भी देख ही लिया आखिर दो भुटटे में कितना कमा लूंगा ये सोच ऊपर वाले परमेश्वर से डरते हुए ….सुमन से कहा रुकिए मैं आपको ताजे भरे दाने के बड़े छह 6 भुटटे निकालकर देता हूँ। सुमन के पति सचिन भी धीरे से मुस्करा रहे थे आखिर श्रीमती जी मोलभाव करते हुए सही दाम में सही क्वालिटी के भुटटे ले ही लिए थे।
बारिश तेज होने लगी थी जल्दी से घर आकर बढिया भुटटे को सेंककर नमक नींबू लगाकर स्वाद लगाकर खा रहे थे बारिश का लुत्फ उठा रहे थे और उस दुकानदार की बेईमानी सुमन की होशियारी उचित मूल्य पर मोलभाव को याद करते हुए गर्म भुटटे का मजा ले रहे थे।
शशिकला व्यास ✍