मोर
मेरा प्यारा मौर है,
पेहुं पेहुं ये शोर है।
बड़ा प्यारा प्यारा
देख करना गौर है।।
सुंदर बड़ा मुख है,
लंबी बड़ी पंख है।
पीठ पर चढ़े चंदा,
बोल बजाए शंख है।।
नाचे फंख फैलाए,
वर्षा काल में गाए।
नाच मन बहलाए,
राष्ट्रीय पक्षी कहाए।।
सुबह सबेरे आता है,
देख मोरनी गाता है।
जंगल मंगल करता,
हरियाली में आता है।।
शरीर होता भारी है,
चाल उसकी न्यारी है।
धरा पे दौड़ लगाता,
मोर शान हमारी है।।
घूमना प्रयोजन है,
सांप प्रिय भोजन है।
इतराकर चलता है,
सुंदरता संयोजन है।।
प्रकृति नवण प्रणाम,
प्राणी रक्षा करें काम।
वन्य संपदा जरूरी,
रक्षा हो आठों याम।।
मोर मुझे प्यारा है,
प्रकृति में न्यारा है।
‘पृथ्वीसिंह’ थारा है,
मोर प्रिय हमारा है।।