मोर
जब बादल छा जाते हैं,
मोर पंख फैलाते हैं।
झूम झूम बादल संग ही,
सुंदर नाच दिखाते हैं।
टिप टिप बूंदें जब पड़ती,
ठुमक ठुमक लहराते हैं।
कभी पेड़,कभी डाल पर,
गीत खुशी के गाते हैं।
नीले रंग के भाते मोर,
हरे पंख फैलाते मोर।
सिर पर सुंदर कलगी लेके,
सबके मन को भाते मोर।
कृष्ण मुकुट शोभा कभी,
कभी सवारी शारदे मोर।
अपनी सुंदरता के कारण,
राष्ट्रीय पक्षी कहलाते मोर।
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अशोक शर्मा, कुशीनगर, उ.प्र.