‘मोमबत्ती’
तू भी जली ,
मैं भी जली।
तू मोम सी थी,
इस लिये जली।
मैं मोम की थी,
इस लिये जली।
तू छिपाने के लिये जली,
मैं दिखाने के लिये जली।
दर्द तू भी सही,
दर्द मैं भी सही।
तू भी मौन थी,
मैं भी मौन थी।
तू रात की उदासी में जली,
मैं दिन की भींड़ में जली।
तुझे जला कर सब छोड़ गये,
मुझे जला कर सब चल दिये।
तू भी जली ,
मैं भी जली।
तू राख बन चली,
मैं खाक बन चली।
शोर तब भी मचा ,
शोर अब भी मचा।
खबर तू भी बनी,
खबर मैं भी बनी।
क्योंकि तू भी जली,
और मैं भी जली।
© डा·निधि
# डा·रेड्डी# कैंडल मार्च