मोमबत्ती जब है जलती
मोमबत्ती जब है जलती,
हर क्षण है बदलती,
ये भी क्या व्यंग है,
पहुँचती जब चरम पे,
घटती ही जाती,
रोशन जग है करती,
रोशनी है फैलाती,
स्वयं को क्यों जलाती,
लौ इधर -उधर हवा से इठलाती,
जीवन के रंगों में,
संघर्ष है बताती,
क्षण भंगुर जीवन है,
मोम-सा इंसान,
जलता है संसार,
लौ से और लौ जलती,
जन्म से मृत्यु तक,
सफर तय है करती ।
✍🏼 बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।