Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2023 · 1 min read

मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)

मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
_________________________
1
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद
चिट्ठी वाले दौर की, धुंधली होती याद
2
पोस्टकार्ड कोना फटा, मतलब इसका खास
पहुॅंचाता था डाकिया, मुखड़ा लिए उदास
3
पंगत में जब बैठते, होती थी मनुहार
आज लिफाफे पर टिका, हर दावत का भार
4
औरों को खुश देखकर, होता है खुश कौन
कोई खुलकर रो रहा, कोई रोता मौन
5
बड़ी मुसीबत थी सदा, जब था टेलीफोन
जब देखो गायब दिखी, उसकी डायलटोन
6
दो ही भारी क्रांतियॉं, बदला सब प्राचीन
बिजली की उपलब्धता, फ्लश वाली लैट्रीन
7
जब से एकल हो गया, सबका लघु परिवार
ताऊ चाचा या बुआ, अब कब रिश्तेदार
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
307 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
खोजने लगी वो सुख का खज़ाना,
खोजने लगी वो सुख का खज़ाना,
Ajit Kumar "Karn"
मदर्स डे
मदर्स डे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा...
दीपक झा रुद्रा
दीवार
दीवार
अखिलेश 'अखिल'
लोरी
लोरी
आकाश महेशपुरी
*सुनो माँ*
*सुनो माँ*
sudhir kumar
रिश्तों की बंदिशों में।
रिश्तों की बंदिशों में।
Taj Mohammad
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
Shashi kala vyas
राम
राम
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जब भी
जब भी
Dr fauzia Naseem shad
गंगा सेवा के दस दिवस (द्वितीय दिवस)
गंगा सेवा के दस दिवस (द्वितीय दिवस)
Kaushal Kishor Bhatt
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
Ranjeet kumar patre
पाषाण और इंसान
पाषाण और इंसान
Khajan Singh Nain
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
Mamta Singh Devaa
जुआ दिवस
जुआ दिवस
सिद्धार्थ गोरखपुरी
खुशी कोई वस्तु नहीं है,जो इसे अलग से बनाई जाए। यह तो आपके कर
खुशी कोई वस्तु नहीं है,जो इसे अलग से बनाई जाए। यह तो आपके कर
Paras Nath Jha
कविता
कविता
Rambali Mishra
मजबूर रंग
मजबूर रंग
Dr MusafiR BaithA
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हर हाल मे,जिंदा ये रवायत रखना।
हर हाल मे,जिंदा ये रवायत रखना।
पूर्वार्थ
4592.*पूर्णिका*
4592.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
कविता
कविता
Neelam Sharma
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बद्रीनाथ के पुजारी क्यों बनाते हैं स्त्री का वेश
बद्रीनाथ के पुजारी क्यों बनाते हैं स्त्री का वेश
Rakshita Bora
चन्द्रयान -3 का कीर्तिमान
चन्द्रयान -3 का कीर्तिमान
Sushma Singh
എങ്ങനെ ഞാൻ മറക്കും.
എങ്ങനെ ഞാൻ മറക്കും.
Heera S
अब ज्यादा तंग मत कर ।
अब ज्यादा तंग मत कर ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...