मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
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1
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद
चिट्ठी वाले दौर की, धुंधली होती याद
2
पोस्टकार्ड कोना फटा, मतलब इसका खास
पहुॅंचाता था डाकिया, मुखड़ा लिए उदास
3
पंगत में जब बैठते, होती थी मनुहार
आज लिफाफे पर टिका, हर दावत का भार
4
औरों को खुश देखकर, होता है खुश कौन
कोई खुलकर रो रहा, कोई रोता मौन
5
बड़ी मुसीबत थी सदा, जब था टेलीफोन
जब देखो गायब दिखी, उसकी डायलटोन
6
दो ही भारी क्रांतियॉं, बदला सब प्राचीन
बिजली की उपलब्धता, फ्लश वाली लैट्रीन
7
जब से एकल हो गया, सबका लघु परिवार
ताऊ चाचा या बुआ, अब कब रिश्तेदार
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451