मोबाइल जिन्दगी
उठते ही मोबाइल देखा।
सोते भी मोबाइल देखा।।
चलते-फिरते खाते-पीते;
बार-बार मोबाइल देखा।।
मोबाइल प्रोफ़ाइल देखा।
फ़ोटो की स्टाइल देखा।।
कौशल अब भगवान से बढ़कर
सेल्फी व स्माइल देखा।।
इसने देखा उसने देखा।
मैंने देखा तुमने देखा।।
यहाँ भी देखा वहां भी देखा
जहां भी देखा सबने देखा।।
कम्प्यूटर मोबाइल देखा
चीता भी मोबाइल देखा।
तरह तरह के इल-बिल ‘कौशल’;
बैंकिंग भी मोबाइल देखा।।
इसको देखा उसको देखा।
हेमा ममता रेखा देखा।।
सबने देखा-देखी देखा ;
खुद को किसी ने क्यों न देखा।।
मोबाइल अब खुदा हुआ है।
कौन जो इससे जुदा हुआ है।।
बिन इसके बढ़ती बेचैनी;
‘कौशल’ पागल फिदा हुआ है।।
मोबाइल है बना जिंदगी।
इन्टरनेट की करें बंदगी।।
पर देखो कुछ अन्तर्मन में;
देखो मत अश्लील गंदगी।।
तन-मन-धन में रखो सादगी।।
बोलो मोबाइल भगवान की जय
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