मोबाइल का प्रभाव
देखो मोबाइल की बलिहारी यह इंसान बदला जाए,
करो अब तुम ही कुछ बिहारी,देखो इंसा बदला जाए,
कोनों की ना सुनत हैं ये,जब ये हाथ रखे हों मोबाइल,×२
भोली सी सूरत नाक में गुस्सा, देखो इंसा बदला जाए।
देखो मोबाइल की बलिहारी…..
रिश्ते अब टच में नहीं हैं, रिश्तेदारी भी हुआ ऑनलाइन,
बढ़ती है मोबाइल से बीमारी, देखो माहौल बदला जाए
गलियारों में बच्चे नहीं खेलें खिलौने, ना गुड़िया ना गुड्डा,×२
देखो मोबाइल की बलिहारी, अब खिलौना बदला जाए।
देखो मोबाइल की बलिहारी…..
द्वार-द्वार पे डाकिया आता था और जुड़े थे सब के तार,
आया वीडियो कॉल का जमाना,ये जमाना बदला जाए,
आ जाता था गर कोई मेहमान, करते थे उनका सत्कार, ×२
सामने बैठे सब चला रहे मोबाइल ये जमाना बदला जाए
देखो मोबाइल की बलिहारी…..
रचनाकार – ©♪अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”