Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Dec 2023 · 3 min read

मोनू बंदर का बदला

जंगल में एक पेड़ पर बंदरों का एक झुण्ड रहता था | सर्दी , गर्मी , बरसात सभी मौसम में यही पेड़ इन बंदरों के बसेरा हुआ करता था | इसी जंगल में हाथियों का एक झुण्ड रहा करता था जो अपनी भूख मिटाने के लिए जंगल के पेड़ों की पत्तियां खाकर अपनी भूख मिटाया करते थे |
एक दिन हाथियों का झुण्ड इसी पेड़ की टहनियों की पत्तियों को खाने लगता है | बंदरों का समूह उनसे कहता है कि हे हाथियों के सरदार इन्हें रोकिये | जिन टहनियों को ये तोड़ रहे हैं उन्हीं टहनियों पर हमारे छोटे – छोटे बच्चे सो रहे हैं | पर बंदरों की बात को हाथियों के झुण्ड के सरदार ने अनसुना कर दिया | उन हाथियों ने अपना तांडव जारी रखा जिससे बंदरों के कुछ बच्चे घायल हो गए और कुछ मर गए | इन्हीं बंदरों के बच्चों में एक बच्चा मोनू बंदर का भी था l इसका हाथियों पर घटना का कोई असर न हुआ |
एक दिन की बात है हाथियों का एक झुण्ड जंगल में भोजन की तलाश में घूम रहा था | उनके साथ उनके छोटे – छोटे बच्चे भी थे | हाथियों का झुण्ड अपने बच्चों को बीच में सुरक्षित रख आगे बढ़ रहा था | अचानक हाथियों के झुण्ड से निकलकर एक बच्चा कहीं गुम हो जाता है | हाथियों के झुण्ड को जब पता चलता है तब तक वह काफी पीछे रह जाता है | हाथियों का झुण्ड वापस हो उस बच्चे की खोज में चल देता है | जब वे उसके पास पहुँचते हैं तब तक शेर उस पर हमला कर चुका होता है और उसे बुरी तरह से घायल कर देता है | पर जब वह हाथियों के झुण्ड को देख वहां से भाग जाता है | हाथियों का झुण्ड उस बच्चे की दयनीय हालत देख दुखी हो उठता है और उसे लेकर झोलाछाप डॉक्टर मोंटी गधे के पास जाते हैं | पर मोंटी गधा उन्हें बच्चे को लेकर नदी पार बड़े अस्पताल जाने की सलाह देता है |
हाथियों का झुण्ड सोच में पड़ जाता है कि इस घायल बच्चे को नदी पर दूर बड़े अस्पताल किस तरह ले जाया जाए | इस सारी घटना को दूर पेड़ पर बंदरों के झुण्ड का सरदार देख रहा होता है | वह अपने झुण्ड के विशेष सलाहकारों को बुला उनसे हाथियों की मदद को कहता है | सभी सरदार की बात से असहमत होते हैं और कहते हैं कि इन्हीं हाथियों ने हमारे बच्चों को मार दिया था | इनसे बदला लेने का यही उचित समय है | पर मोनू बंदर की अपनी अलग राय होती है | वह कहता है कि हम हाथियों को मदद भी कर सकते हैं और सारी जिन्दगी के भर के लिए इन्हें अपना अहसानमंद भी बना सकते हैं जिससे ये आने वाले समय में हमारा भी कोई नुक्सान नहीं करेंगे | ये सारी उम्र शर्मिंदगी भी महसूस करेंगे | मैंने भी अपने बच्चे को खोया है इसलिए मुझे भी अपनी बात कहने का अधिकार है l सभी को मोनू बंदर की बात सही लगती है |
बंदरों का एक झुण्ड जो नाव खेने में पारंगत था उन्हें लेकर मोनू बंदर हाथियों के झुण्ड का पास जा पहुँचता है और उनके सरदार से कहता है कि आप चिंता न करें | हम इस बच्चे को नदी पार वाले बड़े अस्पताल पहुंचा देंगे | हाथियों का सरदार शर्मिंदगी के साथ कहता है कि हमने तो आपको बहुत कष्ट दिया था फिर भी आप हमारी मदद करना चाहते हैं | तब मोनू बंदर कहता है कि ये समय बातों का नहीं है आइये चलते हैं बड़े अस्पताल | सभी बंदर , हाथी के बच्चे को लेकर लाठियों से बनी नाव पर नदी पार बड़े अस्पताल पहुंचा देते हैं | अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं कि आप ठीक समय पर इस बच्चे को यहाँ ले आये नहीं तो कुछ देर बाद इसकी मृत्यु हो जाती |
हाथियों के झुण्ड का सरदार दोनों हाथ जोड़कर बंदरों के सरदार से माफ़ी माँगता है और भविष्य में उनकी सुरक्षा का वादा करता है | बंदरों का झुण्ड भी मोनू बंदर की सलाह की तारीफ़ करता है |

3 Likes · 2 Comments · 526 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
यादें
यादें
Dr fauzia Naseem shad
*तंजीम*
*तंजीम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जो लूॅं हर सॉंस उसका स्वर, अयोध्या धाम बन जाए (मुक्तक)*
*जो लूॅं हर सॉंस उसका स्वर, अयोध्या धाम बन जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
Shashi kala vyas
तेरी गोरी चमड़ी काली, मेरी काली गोरी है।
तेरी गोरी चमड़ी काली, मेरी काली गोरी है।
*प्रणय*
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
इशरत हिदायत ख़ान
आप सिर्फ सफलता का मानसिकता रखे बस आप खुद को सफल चित्र में दे
आप सिर्फ सफलता का मानसिकता रखे बस आप खुद को सफल चित्र में दे
पूर्वार्थ
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
VINOD CHAUHAN
अनकहा दर्द (कविता)
अनकहा दर्द (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
बाग़ी
बाग़ी
Shekhar Chandra Mitra
*एक चूहा*
*एक चूहा*
Ghanshyam Poddar
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
Satish Srijan
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।
Chaurasia Kundan
"ये कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रिय आँसू तुम्हारे बिना ये आँखें, जैसे सूखी धरती की प्यास,त
प्रिय आँसू तुम्हारे बिना ये आँखें, जैसे सूखी धरती की प्यास,त
Rituraj shivem verma
बुंदेली हास्य मुकरियां -राना लिधौरी
बुंदेली हास्य मुकरियां -राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
सत्य कुमार प्रेमी
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
दिल में हिन्दुस्तान रखना आता है
नूरफातिमा खातून नूरी
होगा कोई ऐसा पागल
होगा कोई ऐसा पागल
gurudeenverma198
परित्यक्ता
परित्यक्ता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
एक इत्तफाक ही तो था
एक इत्तफाक ही तो था
हिमांशु Kulshrestha
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
Sonam Puneet Dubey
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
3279.*पूर्णिका*
3279.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
पते की बात - दीपक नीलपदम्
पते की बात - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...