मुंह ना फेरा करो यारों
हमसे इस कदर मुंह ना फेरा करो यारों
जिधर छोड़ोगे उधर पाओगे दिशाओं में है हम चारों
हम वह आंसू हैं आंखों में जो आए तो आंखों में ही समा जाएं नैनों से जो गिर जाए तो होठों पर ही ठहर जाए
रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश