*मोदी जी के 20 वर्ष*
मोदी जी के 20 वर्ष
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एक दोहा प्रस्तुत है:-
दो हजार सन एक से, अद्भुत यह शुरुआत
मोदी जी के दो दशक, वाह-वाह क्या बात
विश्व के राजनेताओं में अग्रणी और अपनी समूची कार्यशैली में अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के जीवन-स्तर को उठाने के लिए यत्न करने वाले, उसकी समस्याओं को सुलझाने में प्राथमिकता देने वाले और इस प्रकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के दर्शन को और बिना भेदभाव के जन-जन को लाभ पहुंचाने की वृत्ति के कारण एकात्म मानववाद के सांचे में ढला हुआ व्यक्तित्व अगर विश्व-पटल पर कोई सुशोभित दिखाई दे रहा है, तो वह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ही हैं।
7 अक्टूबर 2001 से गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर संवैधानिक पद पर आसीन होकर आपकी जो राष्ट्र सेवा की एक अभिनव यात्रा प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए अभी भी जारी है और जिसको 20 वर्ष हो चुके हैं, उसके अभिनंदन के लिए यह सर्वथा उचित समय है ।
जब गुजरात में आप मुख्यमंत्री थे, उन दिनों ‘बेटी बचाओ’ की भावना के साथ सब प्रकार के भेदभाव से मुक्त समाज के निर्माण के लिए आप की प्रतिबद्धता एक मुख्यमंत्री के रूप में सर्वोपरि थी । सरकारी कर्मचारियों को उत्तरदायित्व के भाव से जोड़कर जनता के प्रति सहृदय होकर कार्य करने की भावना से ‘कर्मयोगी अभियान’ भी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में आपकी विशेष उपलब्धि रही।
स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारियों के योगदान को प्रणाम करने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य करते समय आपने महान क्रांतिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां जो विदेश में थीं, उनको वहां की सरकार से सहमति लेकर प्रयत्न करके भारत में गुजरात लेकर आए और सम्मान के साथ एक “क्रांति तीर्थ” नाम का भव्य स्मारक श्यामजी कृष्ण वर्मा की याद में निर्मित करके इस देश के अमर स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान का एक वास्तविक तीर्थ मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित किया ।
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर आपने औद्योगिक विकास के लिए भारी परिश्रम किया और इस बात को स्थापित किया कि देश की सच्ची प्रगति औद्योगिक विकास की यात्रा में सहभागिता निभाकर ही पूरी हो सकती है । याद कीजिए वह दिन, जब बंगाल में सिंगूर में टाटा की नैनो कार प्लांट का विरोध चल रहा था । चरम सीमा पर विरोध फैला हुआ था । उस समय मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर टाटा को संदेश दिया -‘वेलकम टू गुजरात’ ‘ गुजरात में आपका स्वागत है’- इस छोटे से वाक्य ने भारत के इतिहास में औद्योगिक विकास की दिशा में मानो मील के पत्थर का काम किया और आज जब हम प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी जी के क्रियाकलापों का आकलन करते हैं तो हम देखते हैं कि सकारात्मकता के साथ चलने वाले उद्योगपतियों के पक्ष में अच्छा वातावरण इस देश में स्थापित हो चुका है । जहां एक और घोटालेबाजों की नकेल कसने में कोई कमी नहीं रखी जाती, वहीं दूसरी ओर ईमानदार और देश के प्रति लाभदायक सिद्ध होने वाले उद्योगपतियों को देश के किसी भी कोने में आगे बढ़ने के लिए समुचित अवसर मोदी जी की सरकार उपलब्ध करा रही है।
जब आप प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार इस देश की संसद में अपना पहला कदम रखने वाले थे तब आपकी विनम्रता, आस्था और श्रद्धा भाव जो लोकतंत्र के प्रति और भारतमाता के प्रति हो सकता है वह देखने लायक था । आपने नतमस्तक होकर भारत की संसद को केवल प्रणाम ही नहीं किया अपितु जमीन पर घुटने टेक कर तथा माथा जमीन से छूकर इस देश की संसद को अपनी आस्था का विषय बना लिया । आज भी जब हम उस क्षण को याद करते हैं, तो रोमांचित हो उठते हैं । ऐसे कितने लोग होंगे जो लोकतंत्र को, भारत की राजनीति को और संसद को एक श्रद्धा-भाव से देखते हैं और उसी रूप में वहां जाकर काम करते हैं । इसी का परिणाम हुआ कि भारत की संसद सही मायने में ऐतिहासिक फैसले लेने वाली एक संस्था सिद्ध हुई।
धारा 370 की समाप्ति इन 20 वर्षों में इतिहास में लिया गया सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम कहा जा सकता है । वह जो नासूर संविधान की रचना के समय से इस देश की आत्मा को व्यथित कर रहा था, उस धारा 370 को समाप्त करके जम्मू-कश्मीर को हमेशा के लिए सही मायनों में भारत के अभिन्न अंग के रूप में ढालकर मोदी जी ने जो कार्य किया, उसके लिए उनकी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता पूरी तरह से अभिनंदनीय कही जा सकती है । यह एक ऐसा कार्य था जो सही मायनों में सरदार पटेल के अधूरे काम को पूरा करने वाला था, क्योंकि रियासतों में केवल यही एक रियासत बची थी जिसका शत-प्रतिशत रूप से भारत के प्रवाह के साथ घुल-मिल जाने का भाव शेष रह गया था ।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ आजादी के बाद शायद ही इतने मन से किसी ने आरंभ किया होगा, जितना मोदी जी ने किया। किसी भी जगह आप जाते हैं, आपकी दृष्टि स्वच्छता के भाव को प्रतिष्ठित करने की रहती है । अनेक स्थानों पर कूड़ा-कचरा बटोरने तक से आप परहेज नहीं करते । कई बार कुछ खाने के बाद उसके पैकिंग को तह बनाकर जेब में रखने की आपकी प्रवृत्ति सबकी नजरों में आ चुकी है । इसी का परिणाम है कि स्वच्छता अभियान एक जन-आंदोलन में बदल गया है। पहले जहां कोई भी व्यक्ति कहीं भी कूड़ा-कचरा फेंक देता था और उसमें कुछ भी असहज महसूस नहीं करता था, वही आज स्थितियां यह हो गई हैं कि व्यक्ति कूड़ा फेंकने से पहले कूड़ेदान की तलाश करता है और जहां वह उसे उपलब्ध होता दिख जाता है, वहां जाकर कूड़े को फेंकता है। चाहे शादी ब्याह की दावत हो अथवा सड़कों और कार्यालयों की स्थितियां हों, बस अड्डे और रेलवे स्टेशन हों– सब जगह स्वच्छता अभियान को हम सजीव रूप में महसूस कर सकते हैं ।
प्रधानमंत्री की सहृदयता और संकटों पर विजय प्राप्त करने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति कोरोना संकटकाल में सामने आई। जितनी मुस्तैदी के साथ मोदी जी ने कोरोना से जूझने में सफलता प्राप्त की, वह विश्व इतिहास में स्वयं में एक गौरवशाली प्रष्ठ बन चुका है । 80 करोड़ निर्धन व्यक्तियों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराना और समूचे कोरोना काल में उनके सामने भोजन का संकट न होने देना यह लक्ष्य-प्राप्ति कोई हंसी-खेल नहीं होता । इसी अवधि में जहां दुनिया के धनी देशों ने कोरोना की वैक्सीन अपने नागरिकों को पैसा लेकर बेची, वहीं दूसरी ओर भारत ने कोरोना की वैक्सीन को हर भारतीय को मुफ्त उपलब्ध कराने का कार्य अपने हाथों में लिया। आज परिणाम हमारे सामने है; देश कोरोना की विभीषिका को काफी हद तक पार कर चुका है।
आयुष्मान योजना तो एक अनूठी योजना ही कही जा सकती है। पॉंच लाख तक की मुफ्त इलाज की कैशलेस व्यवस्था क्या कभी सोची जा सकती थी ? लेकिन आज देश के हर गरीब के हाथ में ‘आयुष्मान कार्ड’ थमाया जा चुका है और निजी बढ़िया अस्पतालों में उसकी बेहतरीन चिकित्सा मुफ्त उपलब्ध हो रही है । यह सब जनाभिमुख दृष्टिकोण के कारण ही संभव है।
‘ उज्जवला योजना ‘ के द्वारा गरीबों को घरेलू रसोई गैस के कनेक्शन दिए जाने का कार्य अपने आप में मील का पत्थर है। जमाना बीत गया लकड़ियों पर भूमि के बीच खाना बनाते हुए, लेकिन अब उज्जवला योजना के कारण वे दिन अतीत के दु:स्वप्न में बदल रहे हैं ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा हर गरीब को पक्का घर बनाने की योजना का लाभ अगर देखना है तो गांव में जाकर देखिए, जहां लोगों को पक्के कमरे तो मिल ही रहे हैं- खुले में शौच की दुखभरी और अपमानजनक स्थितियों से छुटकारा पाने की व्यवस्था भी कराई जा रही है ।
महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बिना किसी धार्मिक भेदभाव के मोदी जी प्रयत्नशील हैं । इसका परिणाम हमें ‘ तीन तलाक ‘ की कुप्रथा की समाप्ति के रूप में देखने को मिलता है । भारत में मुस्लिम महिलाएं दीर्घकाल से तीन तलाक से पीड़ित रही हैं । अब मोदी जी के साहस भरे कदम के कारण यह कुप्रथा अतीत का एक अध्याय बनकर रह गई है।
एक सैन्य शक्ति के रूप में पूरे आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ सीमा पर शत्रुता पूर्ण कार्यवाहियों से लोहा लेना कोई मोदी जी से सीखे ! याद कीजिएगा सर्जिकल स्ट्राइक के क्षण, जब भारत ने ‘जैसे को तैसा’ की नीति पर कार्य करते हुए अपने पड़ोसी देश के नापाक मंसूबों को ध्वस्त किया था । अपने बहादुर सैनिकों की सुरक्षित वापसी को संभव और अभिनंदनीय बनाया।
चीन की विस्तारवादी नीति के सम्मुख भारत जिस दृढ़ता के साथ टिका रहा और उसने चीन के आगे बढ़ने के मंसूबों पर रोक लगा दी, वह हर भारतीय के लिए आत्मगौरव का विषय है।
मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना दबदबा कायम करने में भी सफल रही है । यूक्रेन में युद्ध के दौरान जब भारतीय छात्र बुरी तरह फंसे हुए थे और उनके सिर पर मौत मंडरा रही थी, तब इस देश का तिरंगा ही था जिसने भारतीय छात्रों को सुरक्षित रूप से यूक्रेन से निकल पाने की गारंटी प्रदान की । यह एक बड़ा मिशन था, जिसके अंतर्गत सभी भारतीयों छात्रों की यूक्रेन से भारत में सुरक्षित वापसी हुई ।
हाल ही में ‘ हर घर तिरंगा’ एक ऐसा अभियान आजादी के अमृत महोत्सव पर इस देश में मोदी जी के नेतृत्व में चलाया गया जो अविस्मरणीय रहा । जो तिरंगा कभी केवल मंत्रियों की गाड़ी में सुशोभित दिखता था, वह इस देश के हर अमीर-गरीब शहर और गांव सभी के घरों पर शान के साथ लहराया गया। हर भारतीय के हाथ में तिरंगा थामने की और उसे आदर पूर्वक अपने घर पर फहराने की परंपरा की स्थापना हुई । देश तिरंगामय हुआ । यह आजादी के अमृत महोत्सव का और मोदी जी के दो दशकों की महान सेवा यात्रा का एक श्रेष्ठ पड़ाव कहा जा सकता है।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
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