Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2017 · 1 min read

मोक्ष

मोक्ष..
‘मानव की अंतिम इक्छा का,
एक अबुझ पहेली,
क्या ‘जीवन’ के कर्मों से मुक्त होना है मोक्ष
या इस नश्वर शरीर को त्यागना है मोक्ष
विचारें,
क्या शरीर से आत्मा का अलग होना है मोक्ष.
त्रिलोक का यह अनोखा ‘शब्द’
जो न जाने कितने रूप से परिभाषित है
जितने पंथ उतनी व्याख्याएं
पर कितना सरल है
इसको इस रूप में
परिभाषित करना-
कर्म की निरंतरता है मोक्ष
मानव की सेवा में संलिप्त हो जाना है मोक्ष
ईश्वर के प्रतिनिधित्व को निभाना है यह मोक्ष
यह मोक्ष
न धार्मिक कर्मकाण्ड है
और न कोई जटिल प्रक्रिया
यह है अमिट छाप छोड़कर
शरीर को त्यागने के सत्य को स्वीकार करने की कला
यह है-
प्रभु द्वारा प्रदत्त शक्ति का
मानवता की
सेवा में
यथावत् समर्पित करना.

Language: Hindi
1 Like · 740 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all
You may also like:
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
Neelam Sharma
तब मानोगे
तब मानोगे
विजय कुमार नामदेव
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
Basant Bhagawan Roy
*जरूरी है हृदय में बस, प्रवाहित तीव्र जीवटता (मुक्तक)*
*जरूरी है हृदय में बस, प्रवाहित तीव्र जीवटता (मुक्तक)*
Ravi Prakash
किसी की लाचारी पर,
किसी की लाचारी पर,
Dr. Man Mohan Krishna
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
विपक्ष ने
विपक्ष ने
*Author प्रणय प्रभात*
आओ थोड़ा जी लेते हैं
आओ थोड़ा जी लेते हैं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Sakshi Tripathi
भाव  पौध  जब मन में उपजे,  शब्द पिटारा  मिल जाए।
भाव पौध जब मन में उपजे, शब्द पिटारा मिल जाए।
शिल्पी सिंह बघेल
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
इन दिनों
इन दिनों
Dr. Kishan tandon kranti
कौआ और बन्दर
कौआ और बन्दर
SHAMA PARVEEN
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
Deepesh सहल
मैं मन की भावनाओं के मुताबिक शब्द चुनती हूँ
मैं मन की भावनाओं के मुताबिक शब्द चुनती हूँ
Dr Archana Gupta
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
*ज़िंदगी का सफर*
*ज़िंदगी का सफर*
sudhir kumar
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
Keshav kishor Kumar
“दो अपना तुम साथ मुझे”
“दो अपना तुम साथ मुझे”
DrLakshman Jha Parimal
अभिनेता बनना है
अभिनेता बनना है
Jitendra kumar
मेरा यार
मेरा यार
rkchaudhary2012
2944.*पूर्णिका*
2944.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शायरी - संदीप ठाकुर
शायरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
तुलसी युग 'मानस' बना,
तुलसी युग 'मानस' बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
धन्यवाद कोरोना
धन्यवाद कोरोना
Arti Bhadauria
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...