मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
शरीर साँसों के बिना नहीं चलता,
और जीवन पैसों के बिना नहीं चलता,
लोग कहते हैं पैसा हाथ का मेल है,
मगर यह मैल साफ हाथों से नहीं निकलता…
इसके लिए हाथ गंदे करने ही पड़ते हैं,
कई तरह के धंधे करने ही पड़ते हैं,
इन्हीं धंधो का नाम है नौकरी,
मिल जाए जीवन की गाड़ी चलने लगती है,
ना मिले तो चलती हुई गाड़ी पंचर होने लगती है…
भले ही साँसे मुफ्त में दी हों भगवान ने,
मगर खाली पेट भरने के लिए तो नौकरी करनी ही पड़ती है,
नौकरी के लिए दिन-रात तपना पड़ता है,
गलाकाट प्रतियोगिता में हुनरबाजों से लड़ना पड़ता है…
जनसंख्या बहुत है मेरे भाई,
नौकरी के लिए भाई के सिर पर पैर रखकर ऊपर चढ़ना पड़ता है…
क्योंकि अगर नौकरी नहीं तो शरीर चलता नहीं,
समाज में सम्मान मिलता नहीं,
खाली बटुआ पेंट में जचता नहीं,
और खाली बटुए पर घर बसाने छोकरी मिलता नहीं..
बिना छोकरी के मर्द बाप बनता नहीं,
और बगैर बाप बने पिंडदान होता नहीं,
और पिंडदान के बिना मोक्ष मिलता नहीं,
इसलिए प्यारे मंदिर मस्जिद का चक्कर छोड़ो,
और नौकरी पाने के लिए सरकार पर हल्ला बोलो…
बरना घूमते रहोगे जीवन मृत्यु के संसार में,
क्योंकि अब बुद्ध का जमाना नहीं और सिकंदर बनना आसान नहीं,
सूर, कबीर, तुलसी के भगवान और थे,
अब के भगवान बगैर सोना-चाँदी चढ़ाए आते नहीं..!!
prAstya…….(प्रशांत सोलंकी)