मॉ तो मॉ, मॉ ही होती है , बच्चों का कल्मष धोती है( पोस्ट ३०) गीत
मॉ तो मॉ , मॉ ही होती है
************************( गीत )
मॉ तो मॉ , मॉ ही होती है , बच्चों का कल्मष धोती है
जब भी होता है अँधियारा , करती जीवनमें उजियारा ।
पूर्व सुलाए वह बच्चों को किंतु बाद में वह सोती है ।
मॉ तो मॉ , मॉ ही होती है , बच्चों का कल्मष धोती है ।।
वह ममता की भावन सूरत, वह करुणा की पावन मूरत
माला के बिखरे मनकों को , सहज- सहज स्नेहिल पोती है।मॉ तो मॉ , मॉ ही होती है, बच्चों का कल्मष धोती है।
सदा प्रकाशित पथ दर्शाती , मानवताका पाठ पढाती ।
पुत्रोंको मुस्कान अमर वह , दीपों की स्वर्णिम ज्योति है
मॉ तो मॉ , मॉ ही होती है , बच्चोंका कल्मष धोती है ।।
—– जितेंद्रकमलआनंद