मॉं जय जयकार तुम्हारी
निर्मल मॉं सबसे न्यारी, मॉं जग की पालनहारी, -2
मॉं आदिशक्ति अवतारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
तुम जगजननी कल्याणी, मॉं तुम ही वीणापाणी, —-2
तुम करतीं सिंह सवारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
सुख संपति साधन सारे, भरतीं सबके भंडारे—–2
मॉं तुम ही अजिर बिहारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मॉं अजर, अमर, अविनाशी, मॉं अगणित पूर्णमासी –2
मॉं सब देवों से न्यारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।
मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मॉं गणपति के संग आना, अनुपम चैतन्य बहाना –2
हैं विनती यही हमारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
पीतल नगरी आभारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
निर्मल मॉं सबसे न्यारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मॉं जय जयकार तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
तुम आदिशक्ति अवतारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।।